हिमाचल में सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण
reservation. हिमाचल सरकार ने स्वर्णो को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने पर मोहर लगा दी है।
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल सरकार ने सवर्णो को सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण देने पर मुहर लगा दी है। इसके साथ संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। प्रदेश में अब प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के सभी सरकारी पदों पर सवर्ण वर्ग के लोग नौकरी में आरक्षण के हकदार होंगे।
सरकार ने राज्य की सेवाओं में श्रेणी एक, दो, तीन व चार में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसद आरक्षण प्रदान करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया। हालांकि शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण के लिए सवर्ण जाति के लोगों को इंतजार करना पड़ेगा। संभवत: मंत्रिमंडल की अगली बैठक में शिक्षा क्षेत्र में भी सामान्य श्रेणी के लोगों को आरक्षण का हिस्सा मिल जाएगा। सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित सवर्ण वर्ग के आरक्षण को लागू करने की दिशा में कदम उठाया है। मंत्रिमंडल ने संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने को भी मंजूरी दी।
संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने वाला हिमाचल प्रदेश देश का दूसरा राज्य बन गया है। हिमाचल से पहले संस्कृत का सम्मान करने वाला पहला राज्य उत्तराखंड था। देवभूमि हिमाचल में हर धार्मिक अनुष्ठान संस्कृत में होता है। प्रदेश में हिंदी को पहला स्थान प्राप्त है। प्रदेश की कई स्थानीय बोलियां होने के बावजूद सरकार ने हिंदी के बाद संस्कृत का सम्मान बढ़ाया है।
यौन उत्पीड़न पर मिलेंगे दो से 10 लाख रुपये
हिमाचल में यौन उत्पीड़न के कारण गंभीर चोट व क्षति होने पर महिलाओं व उनके आश्रितों को दो लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया जाएगा। यौन अपराध के कारण हुई क्षति व चोट से पीड़ित महिलाओं को मुआवजा प्रदान करने के लिए वुमेन विक्टम्स व सर्वाइवर्स ऑफ सेक्सुअल असॉल्ट व अदर क्राइम 2018 को लागू करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास की आवश्यकता को पूरा करने तथा मुआवजा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत पीड़ितों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अथवा जिला विधिक प्राधिकरण के निर्णय के तहत महिला पीड़ित मुआवजा निधि से मुआवजा राशि प्रदान की जाएगी। इसमें नाबालिगों को मुआवजे का प्रावधान किया गया है जिसमें लड़का या लड़की कोई भी हो सकते हैं। यह राशि चोट और मामले की गंभीरता के आधार पर दी जाएगी।
कांस्टेबलों की शक्ति बढ़ी, अब जांच कर सकेंगे
प्रदेश सरकार ने पुलिस कांस्टेबलों की शक्तियों को बढ़ा दिया है। प्रदेश पुलिस विभाग में कार्यरत कांस्टेबल अब मामलों की जांच कर सकेंगे। सरकार ने उन्हें जांच अधिकारी (आइओ) का जिम्मा सौंपे जाने को मंजूरी प्रदान की। अभी तक जांच का जिम्मा हेड कांस्टेबल व उच्च अधिकारियों को ही दिया जा सकता था। जो कांस्टेबल स्नातक होंगे, वही मामलों की जांच कर सकेंगे। हालांकि गंभीर अपराधों को जांचने का जिम्मा इन कांस्टेबलों को नहीं सौंपा जाएगा। स्नातक कांस्टेबल ऐसे मामलों की जांच कर सकेंगे जिनमें तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। इस मंजूरी के बाद प्रदेश में करीब 10 हजार जवान केसों की तफ्तीश करने लगेंगे। इससे थानों व चौकियों में लंबित मामलों का भी जल्द निपटारा होगा। पुलिस विभाग में कांस्टेबल स्तर पर अब उच्च शिक्षित जवान आ रहे हैं। इससे लंबित मामलों में कमी आएगी और जांच अधिकारियों की संख्या बढ़ जाएगी।
पीटीए शिक्षकों पर फैसला नहीं
प्रदेश सरकार से नाराज पीटीए शिक्षकों के मामले में मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा हुई। लेकिन सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकी। पीटीए शिक्षक नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। शिमला नंबर वन, सोलन व सिरमौर पीछे प्रदेश में सुशासन सुनिश्चित बनाने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं। इसके तहत सभी जिलों में शासन के रुझानों का मूल्यांकन करने के लिए जिला सुशासन सूचकांक लागू करने का निर्णय लिया गया। इससे प्रदेश में समान सुशासन लागू हो सकेगा। प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से जारी सूचकांक के तहत शिमला जिला नंबर वन है। शिमला के साथ लगने वाला सोलन जिला दसवें स्थान पर है। सिरमौर जिला का भी रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं है। प्रदेश के सबसे बड़े कांगड़ा जिला में सुशासन सूचकांक संतोषजनक है।