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कांग्रेस में लौटे सुखराम, आश्रय

पूर्व संचार मंत्री सुखराम अपने पोते आश्रय को भाजपा में आश्रय न मिलने पर कांग्रेस में पोते सहित शामिल हो गए हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा उनके पोते आश्रय शर्मा को उम्मीदवार न बनाने पर नाराज 91 वर्षीय सुखसराम ने कांग्रेस से नाता तोड़ने के 1

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 10:02 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 10:02 PM (IST)
कांग्रेस में लौटे सुखराम, आश्रय

राज्य ब्यूरो, शिमला : पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम सोमवार को पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में 91 वर्षीय सुखराम ने आश्रय के साथ पार्टी की सदस्यता ली। लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा आश्रय शर्मा को मंडी संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार न बनाने पर सुखराम नाराज थे। सुखराम के पुत्र व आश्रय के पिता अनिल शर्मा प्रदेश भाजपा सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं। सुखराम ने 17 महीने बाद कांग्रेस में वापसी की है।

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सुखराम कई दिन से नई दिल्ली में कांग्रेस के साथ संपर्क बनाए हुए थे। पूर्व वीरभद्र सरकार में पांच वर्ष तक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रहे सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा विधानसभा चुनाव से पहले 14 अक्टूबर 2017 को भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन सुखराम व आश्रय ने भाजपा की सदस्यता नहीं ली थी। इसके बावजूद दोनों ने चुनाव में मंडी सदर से प्रत्याशी अनिल के पक्ष में भगवा पटके पहन कर भाजपा का प्रचार किया था। संचार क्रांति का मसीहा कहे जाने वाले सुखराम पीवी नरसिम्हा राव सरकार में दूरसंचार मंत्री रहे। वर्ष 1996 में उनके आवास से सीबीआइ ने 3.6 करोड़ रुपये बरामद किए थे। वर्ष 2011 में दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ उन्होंने अपील की है। पोते के लिए बेटा किनारे

सुखराम ने पोते के लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा पूरी करने के लिए बेटे के बारे में नहीं सोचा। सुखराम के कांग्रेस में लौटने के कारण अनिल शर्मा को मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है। उन्होंने भाजपा में शामिल होने को लेकर पहले यह शर्त रखी थी कि बेटे को मंत्री और लोकसभा चुनाव में पोते को भाजपा टिकट दिया जाए।

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पंडित सुखराम के कांग्रेस में लौटने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भाजपा प्रदेश की चारों सीटों पर प्रचंड बहुमत के साथ विजयी होगी। सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो स्वीकार कर लेंगे। इस संबंध में आलाकमान से भी बात करूंगा।

जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री

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पंडित सुखराम व उनका पोता आश्रय शर्मा पहले से ही काग्रेस में थे। काग्रेस में उनकी वापसी कैसे हो सकती है। दोनों भाजपा में शामिल नही हुए और न प्राथमिक सदस्यता ली थी।

सतपाल सत्ती, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

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राहुल गांधी की इस बात से बहुत प्रभावित हुआ कि हमारे राजनीतिक नहीं, पारिवारिक रिश्ते हैं। भाजपा ने मेरी व वीरभद्र की दूरी का फायदा उठाया। अपने घर वापस आया हूं। पूरा जीवन कांग्रेस में गुजारा है और अंतिम पल भी कांग्रेस में ही बिताऊंगा।

-पंडित सुखराम

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पिता व बेटे ने जो कदम उठाया है, उसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। मेरा भविष्य भाजपा हाईकमान पर निर्भर है। पार्टी कहेगी तो तुरंत इस्तीफा दे दूंगा। ऐसी राजनीति मेरे वश में नहीं है। संसदीय चुनाव में किसी का प्रचार नहीं करूंगा।

अनिल शर्मा, ऊर्जा मंत्री एवं सुखराम के पुत्र

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पंडित सुखराम के कांग्रेस में जाने से क्या फर्क पडे़गा, यह समय बताएगा। पिछले वर्ष भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आश्वासन दिया था कि सुखराम परिवार भाजपा में शामिल हो जाए, पार्टी उनका पूरा मान सम्मान करेगी। मैंने पिता को उस समय भाजपा की सदस्यता दिलाई थी और खुद भी सदस्यता ली थी। लेकिन अफसोस है कि कहा जा रहा है कि मैं भाजपा का सदस्य नहीं हूं।

आश्रय शर्मा, सुखराम के पौत्र

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हाईकमान के निर्णय का स्वागत करता हूं। कांग्रेस का सिपाही रहा हूं। कांग्रेस हाईकमान जो जिम्मेदारी देगा, उसे पूरी तरह निभाऊंगा। कांग्रेस के उम्मीदवार को जिताने के लिए हरसंभव प्रयास रहेगा।

वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री

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मैंने मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन नहीं किया था और कभी चाहत भी नहीं रखी कि मुझे टिकट दिया जाए। कांग्रेस हाईकमान जो जिम्मेदारी देगा, उसे निभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ूंगा

-विक्रमादित्य, विधायक, शिमला ग्रामीण क्षेत्र एवं वीरभद्र के बेटे

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चंदेल को कांग्रेस टिकट देने पर मतभेद

पूर्व सांसद सुरेश चंदेल के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने पर सोमवार को दिनभर चर्चा चलती रही। कुछ कांग्रेस नेताओं ने इसका समर्थन किया लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविदर सिंह सुक्खू सहित अन्य नेताओं ने चंदेल को उम्मीदवार बनाए जाने को अनुचित ठहराया। चंदेल एलान कर चुके हैं कि टिकट मिलने पर वह कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।


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