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जीने की बात करो, मरने की नहीं

हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या की घटनाएं साल दर साल बढ़ रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 07:10 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 07:10 AM (IST)
जीने की बात करो, मरने की नहीं
जीने की बात करो, मरने की नहीं

रमेश सिंगटा, शिमला

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हिमाचल प्रदेश में आत्महत्या की घटनाएं साल दर साल बढ़ रही हैं। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने भी इस पर चिंता जताई है। साढ़े पांच साल में 3260 लोगों ने मौत को गले लगाया। मजदूर, गृहिणियां, निजी क्षेत्र के कर्मचारी, छात्र ज्यादा संख्या में आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। इसके लिए पारिवारिक रिश्तों में आई दरार, नैतिक मूल्यों में गिरावट, नशे का चलन, संस्कार की कमी, रोजगार के साधनों का अभाव और कृषि, पशुपालन से विमुख होना जैसी कई वजह सामने आ रही हैं। यह समझने और समझाने की बेहद आवश्यकता है कि मरने की बात नहीं, जीने की बात करना अनिवार्य है।

अब कोरोनाकाल में भी इन आंकड़ों में गिरावट नहीं आ रही है। इस साल सात महीने में 466 लोगों ने खुदकुशी की। औसतन सप्ताह में 10 से लेकर 25 लोग जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं। क्या कार्रवाई करती है पुलिस

अगर कहीं किसी ने जहरीला पदार्थ निगल लिया या फंदा लगाया तो पुलिस सीआरपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई करती है। अगर स्वजन आरोप लगाते हैं कि आत्महत्या के लिए उकसाया गया या प्रताड़ना से तंग आकर कदम उठाया तो आइपीसी की धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज होता है। ऐसा तभी होता है अगर पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट या अन्य सुबूत मिले हों। 2020 में आत्महत्या के मामले

माह, आत्महत्या, सप्ताह में औसतन

जनवरी,40,10

फरवरी,45,11.25

मार्च,32,08

अप्रैल,47,11.75

मई,89,22.25

जून,112,28

जुलाई,101,25.25

कुल, 446,16.64

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2019 का साप्ताहिक औसत

13.6

वर्षवार आत्महत्याएं

2018,715

2019,503

अप्रैल-मई 2018,122

अप्रैल-मई 2019,139

अप्रैल-मई 2020,136 इन कारणों से हुई आत्महत्याएं

वर्ष,वित्तीय,वैवाहिक,पारिवारिक,नशा,बेरोजगारी,स्वास्थ्य,परीक्षा में फेल,प्रेम प्रसंग,अन्य,कुल

2015,1,66,57,15,13,71,10,22,226,481

2016,1,94,71,17,20,83,10,23,239,558

2017,4,83,77,8,20,88,12,38,212,542

2018,1,83,92,22,21,79,17,30,349,694

2019,4,83,91,18,14,86,15,42,283,636

2020,2,60,58,5,10,33,1,14,166,349

-,13,469,446,85,98,440,65,169,1475,3260

2015 से 2020 (जून) तक के आंकड़े

किसान-145

मजदूर-815

छात्र-365

हाउस वाइफ-720

सरकारी कर्मचारी-92

निजी कर्मचारी-313

बिजनेसमैन-140

अन्यों ने की-670

-कुल 3260 आत्महत्याएं

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आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, जो चिंताजनक है। पुलिस ने ऐसे मामलों को बेहद गंभीरता से लिया है। कई वर्ष का अध्ययन करवाया गया है। संबंधित विभागों के साथ इसे उठाया गया है। ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए विभागों को कड़े कदम उठाने होंगे। इन विभागों को हमने अलर्ट कर लिया है।

-संजय कुंडू, डीजीपी आत्महत्या के आंकड़ों का वैज्ञानिक आधार पर विश्लेषण किया गया है। लेकिन हेल्थ प्रोफेशनल लोग इसके असली कारण बताकर रोकथाम के उपाय सुझा सकेंगे। हम अब रोजाना निगरानी कर रहे हैं।

अशोक तिवारी, एडीजीपी, सीआइडी


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