कच्चीघाटी में हर भवन की मजबूती जांची जाएगी
राजधानी शिमला के कच्चीघाटी में हर भवन की मजबूती को जांचा जाएगा।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के कच्चीघाटी में हर भवन की मजबूती को जांचा जाएगा। इसके लिए एनआइटी हमीरपुर व आइआइटी मंडी के सदस्यों का इंतजार किया जा रहा है। महीने के अंत तक दोनों के पहुंचने के बाद ही यहां पर काम शुरू हो सकेगा। शहर के उपनगर में आठ मंजिला भवन गिरने के बाद से यहां पर अन्य भवनों के गिरने का भी खतरा बना हुआ है।
भवनों की मजबूती जांचने के लिए कमेटी गठित की गई है। कमेटी जल्द ही मौके का दौरा करेगी। नगर निगम आयुक्त आशीष कोहली ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके लिए विशेषज्ञ सदस्य आइआइटी मंडी और एनआइटी हमीरपुर से आने का इंतजार है। इनके आते ही इस काम को शुरू कर दिया जाएगा। महीने के अंत तक दोनों ही संस्थानों से विशेषज्ञ सदस्य शिमला का दौरा करेंगे। इस दौरान पूरे क्षेत्र में भवनों की मजबूती को जांचने के साथ ही मिट्टी को जांचने का काम भी होगा। इसके बाद ही पूरी रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपी जाएगी।
राज्य सरकार ने कच्चीघाटी क्षेत्र के सभी भवनों की मजबूती को जांचने के आदेश नगर निगम को दिए हैं। इसके आधार पर ही निगम ने आगामी काम शुरू कर दिया है। निगम के आयुक्त आशीष कोहली ने कहा कि सरकार के आदेश के बाद इस पर काम शुरू कर दिया है। टीम जल्द ही मौके का दौरा कर पूरे क्षेत्र का निरीक्षण करेगी। साथ लगते भवनों के गिरने का भी बना है खतरा
कच्चीघाटी में अक्टूबर में आठ मंजिला इमारत के गिरने के कारण साथ लगती इमारतों के ढहने का खतरा बन गया था। इस कारण जानमाल के नुकसान की आशंका बनी हुई था। इस पर सरकार के आदेश के बाद कमेटी का गठन हुआ है। तकनीकी कमेटी ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के बाद ही कुछ भवनों को तोड़ने, कुछ में सुधार करने तो सभी भवनों की मजबूती आडिट की सिफारिश की है। इसके बाद सरकार ने कमेटी का गठन किया। इस स्ट्रक्चरल आडिट की कमेटी में निगम के आयुक्त, उपायुक्त के प्रतिनिधि, टीसीपी के प्रतिनिधि, लोक निर्माण विभाग के प्रतिनिधि सहित अन्य सदस्य हैं। इनके अलावा दो विशेषज्ञ सदस्य शामिल होंगे। पहले तकनीकी कमेटी ने तैयार की थी रिपोर्ट
तकनीकी कमेटी की रिपोर्ट में ही साफ तौर पर भवनों को गिराने से लेकर छज्जों पर बनाई गई दीवारों को भी गिराने की बात कही थी। इसके साथ ही भवनों की नींव मजबूत करने के लिए भवन मालिक को ही अपने जोखिम पर ये काम करवाने की बात कही थी। कमेटी की ओर से 12 पन्ने की बनाई गई रिपोर्ट में यह साफ किया था कि इन असुरक्षित भवनों को तब तक खाली रखा जाएगा जब तक इन्हें रहने लायक सुरक्षित नहीं बनाया जाता। कच्चीघाटी में असुरक्षित भवनों को गिराने से पहले इन्हें बचाने की संभावना तलाशने के लिए आइआइटी मंडी और हमीरपुर के विशेषज्ञ भी शामिल किए गए हैं।