उत्सव, पद्म अलंकरण और हिमाचल
इस बार पूर्ण राज्यत्व दिवस की स्वर्ण जयंती पर हिमाचल प्रदेश के नेताओं ने एक परिपक्व संदेश बाहर दिया है। पूर्ण राज्यत्व मिलने के दिन बर्फ गिरी थी। इसके 50 वर्ष बाद उसी रिज मैदान पर धन्यवाद की धूप खिली।
नवनीत शर्मा। इतिहास ऐसा बना है कि हिमाचल प्रदेश के लिए निरंतर दो दिन उत्सव के रंग में रंगे होते हैं। 25 जनवरी को पूर्ण राज्यत्व दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस। इस बीच यह भी पता चलता है कि पद्म अलंकरण से कौन सजेगा। फिर यह भी पता चलता है कि उत्कृष्ट सेवाओं के लिए कितने अधिकारी राष्ट्रपति मेडल पाएंगे। राजपथ पर अगले दिन हिमाचल प्रदेश स्वयं को झांकी, किसी टुकड़ी का नेतृत्व करते हिमाचली अफसर के रूप में ढूंढता है। दिलचस्प होते हैं ये दो दिन। झांकी तो इस बार थी नहीं, बैजनाथ के लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल मेहता अवश्य थल सेना के हेलीकॉप्टर को उल्लास की गति दे रहे थे।
पूर्ण राज्यत्व दिवस की स्वर्ण जयंती पर इस बार हिमाचल प्रदेश के नेताओं ने एक बेहद परिपक्व संदेश बाहर भेजा है। अगर पूर्ण राज्यत्व मिलने के दिन बर्फ गिरी थी तो उसके 50 वर्ष बाद उसी रिज मैदान पर धन्यवाद की धूप खिली थी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने न केवल शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल सरकारों की प्रशंसा की, अपितु हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार, ठाकुर राम लाल और सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले वीरभद्र सिंह की सेवाओं को भी याद किया।
दलगत राजनीति के युग में अपवाद बन कर रह गए ये दृश्य जब दिखते हैं तो लोकतंत्र में विरोधी के सम्मान का यह शिष्टाचार अच्छा लगता है। जेपी नड्डा का मुख्यमंत्री से यह कहना बड़ा सार्थक संदेश है कि आप जो भी करेंगे वह हमारी कारगुजारी होगी। अनुराग ठाकुर ने बल्क ड्रग पार्क की उम्मीद जताते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश को विकास के लिए 25 वर्ष का रोडमैप तैयार करना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रोडमैप तो 50 वर्षो का बन रहा है। वाकई रोडमैप जितने भी वर्षो का बने बनना ही चाहिए।
पूर्ण राज्यत्व दिवस की शाम प्रदेश के लिए 16वां पद्म अलंकरण ले आई। हमीरपुर जिले के करतार सिंह को पद्मश्री मिला है। कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव से संपर्क किया तो वह बोले, हम भी पता कर रहे हैं कि यह करतार जी कौन हैं। कुछ देर में उन्होंने फोन नंबर उपलब्ध करवा दिया। करतार कहते हैं, मैंने स्वयं ही ऑनलाइन आवेदन किया था। सुबह दिल्ली से पुष्टि के लिए फोन आए थे। बंद बोतल में बांस से कलाकृतियां बनाते हैं करतार। महात्मा गांधी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की कलाकृतियां तैयार कर चुके हैं। बेशक उनकी कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी शिमला के बैंटनी कैसल में भी आयोजित की जा चुकी है, लेकिन संकोची स्वभाव के करतार उस तरह सामने नहीं आ सके।
फार्मासिस्ट के रूप में नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अब वह अपने शौक के कारण पद्म अलंकरण पाने वाले विशिष्ट वर्ग में शामिल हो गए हैं। सच यह है कि नई पीढ़ी ऐसे कई नामों से अपरिचित है जिन्हें पद्म अलंकरण मिला और हिमाचल प्रदेश के नाम पर दर्ज भी हुआ। उदाहरण के लिए 1976 में नागरिक सेवाओं के लिए पद्मश्री मिला था सत्यदेव को। शिमला के रमेश कुमार कहते हैं, सत्यदेव किन्नौर के पूह में यंगथंग के नायब तहसीलदार थे। वर्ष 1975 के भूकंप में उनकी पत्नी और बच्चे की मौत हो गई। तब भी वह कर्तव्य के पथ पर अडिग रहे और राहत एवं बचाव के लिए जो कर सकते थे, उससे अधिक किया।
औपचारिक रूप से जो लोग हिमाचल के खाते में दर्ज हैं, उनमें एक हैं डॉ. बेटिना शारदा बॉमर। ऑस्टिया की रहने वाली इस संस्कृत विद्वान को भारत की नागरिकता मिल गई थी। वर्ष 2015 में इन्हें पद्मश्री मिला साहित्य एवं शिक्षा के लिए। यह भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में विजिटिंग और नेशनल प्रोफेसर भी रही हैं। डॉ. बॉमर के साथ एक मिसाल और हैं, मराठी कवि भाल चंद्र निमाड़े। इनका हिमाचल के साथ भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के माध्यम से नाता है। इन्हें 2011 में पद्मश्री मिला था। हिमाचल में पद्म भूषण केवल एक है, जबकि पद्मश्री अब 15 हैं। पद्म भूषण ब्रज कुमार नेहरू को मिला था, नागरिक सेवाओं के लिए।
कसौली से उनका गहरा नाता रहा। ठियोग वाले डॉ. राजेंद्र वर्मा टाइपिंग की तेज गति के लिए पद्मश्री हुए थे। 50 साल के हिमाचल के हिस्से अब तक कला के लिए तीन, साहित्य एवं शिक्षा के लिए चार, नागरिक सेवाओं के लिए दो, दवा के लिए तीन, खेल के लिए एक, समाजसेवा के लिए एक, व्यापार एवं उद्योग के लिए एक और अन्य श्रेणियों में एक पद्म अलंकरण आया है। ये वे लोग हैं जो हिमाचल के नाम से दर्ज हैं। हालांकि हिमाचल के कई ऐसे व्यक्तित्व भी हैं जो अन्य राज्यों से, सेना से या सिनेमा से कई क्षेत्रों में पद्म अलंकरण पा चुके हैं। ऐसे में एक स्थानीय कलाकार करतार सिंह का उभरना आश्वस्त करता है कि गुणी लोग कम नहीं हैं, उन्हें खोजने और सहेजने की दृष्टि अनिवार्य है।
(राज्य संपादक, हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश)