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World Cancer Awareness Day : पहाड़ से हौंसले से कैसे दी कैंसर को मात, 21 साल बाद जीत ली जंग

World Cancer Awareness Day शिमला में रहने वाली 80 वर्षीय इंद्रु देवी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात दे दी और लोगों के लिए रणास्रोत बन गयी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 07:57 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 07:57 AM (IST)
World Cancer Awareness Day : पहाड़ से हौंसले से कैसे दी कैंसर को मात, 21 साल बाद जीत ली जंग
World Cancer Awareness Day : पहाड़ से हौंसले से कैसे दी कैंसर को मात, 21 साल बाद जीत ली जंग

शिमला, रामेश्वरी ठाकुर। World Cancer Awareness Day कैंसर से हर साल देश में लाखों लोगों की मौत होती है। समाज में ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने न सिर्फ दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी को मात दी बल्कि दूसरों के  लिए भी प्रेरणास्रोत बने। ऐसी ही एक महिला हैं शिमला जिला की हलाउ पंचायत के कांडा गांव की निवासी 80 वर्षीय इंद्रु देवी। वर्ष 1995 में इंद्रु देवी इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला में बच्चादानी के कैंसर से पीड़ित पाई गईं।

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कैंसर अस्पताल में उनका इलाज शुरू हुआ। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में पहाड़ सा हौसला रखने वाली इस महिला ने हिम्मत नहीं हारी। कीमोथेरेपी के 12 से 15 घंटों के शॉट्स सहकर उन्होंने जीने की इच्छा को मरने नहीं दिया। लगातार कीमोथेरेपी व मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने 21 साल बाद वर्ष 2016 में कैंसर से जंग जीत ली। उन्होंने इलाज करवाया और डॉक्टर के परामर्श पर लंबे समय से किए जा रहे धूमपान व मसालेदार खाने को एकदम छोड़ दिया।

प्रेरणास्रोत बनीं मां

डॉक्टरों के प्रयास और मां के जज्बे के कारण आज वह हमारे बीच हैं। मां स्वस्थ जीवनशैली अपना रहीं हैं। वर्ष 2016 के बाद जब मां को रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल लाया गया तो उनकी रिकवरी से डॉक्टर भी हैरान थे। मां सबके लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं। एमआर शास्त्री, इंद्रू देवी के बेटे

परिवार के प्यार से मिला हौसला

परिवार के प्यार ने कैंसर से लड़ने का हौसला दिया। बेटे, बहू और पोता-पोतियों ने मुझे बीमारी से बाहर लाने के लिए दिन-रात एक कर दिए। परिवार का इतना प्यार देखकर मेरी इच्छाशक्ति दोगुनी हो गई। मैंने खानपान और जीवनशैली को बदला। मन में सिर्फ जल्द ठीक होने की चाह थी।

इंद्रू देवी नहीं छोड़ी खेतीबाड़ी

डॉक्टरों ने स्वस्थ जीवनशैली के लिए इंद्रु देवी को योग करने के लिए कहा। इस पर उन्होंने खेतीबाड़ी का काम रोजाना बरकरार रखा। वह हर दिन सुबह पांच बजे उठकर गाय की सेवा में जुट जाती हैं। दिनभर खेत में घास की कटाई और पौधों की गुड़ाई सहित अन्य सभी घरेलू काम करती हैं। इंद्रु देवी अब स्वस्थ जीवन जी रही हैं।

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