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हिमाचल पुलिस विभाग के नौ साल पुराने जूता घोटाले की दोबारा होगी जांच, जानिए पूरा मामला

Himachal Police Shoes Scam पुलिस महकमे से जुड़े नौ साल पुराने जूता घोटाले की अब दोबारा जांच होगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 11:20 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 11:20 AM (IST)
हिमाचल पुलिस विभाग के नौ साल पुराने जूता घोटाले की दोबारा होगी जांच, जानिए पूरा मामला
हिमाचल पुलिस विभाग के नौ साल पुराने जूता घोटाले की दोबारा होगी जांच, जानिए पूरा मामला

शिमला, जेएनएन। पुलिस महकमे से जुड़े नौ साल पुराने जूता घोटाले की अब दोबारा जांच होगी। शिमला की कोर्ट नंबर तीन ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई न्यायाधीश विशाल कौंडल के समक्ष हुई।

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कोर्ट विजिलेंस की कैंसलेशन रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ। जांच का क्या नतीजा निकला, इसे भी स्पष्ट नहीं किया गया। इस मामले में जवाब भी संतोषजनक नहीं रहा। अदालत ने 15 नवंबर को विजिलेंस से पूरा रिकॉर्ड तलब किया था। इस फैसले से डीजी जेल सोमेश गोयल, पूर्व डीजीपी डीएस मिन्हास, पूर्व डीआइजी एसपीएस वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था।

पुलिस विभाग में 2010 में एक करोड़ से अधिक के जूतों की खरीद की गई। आवंटन के बाद ही कुछ वक्त बाद ही ये फट गए थे। पुलिस जवानों की शिकायत पर पुलिस कल्याण संघ ने इस मामले को सरकार से उठाया था। तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने इसे अपनी चार्जशीट में भी इसे शामिल किया था। विजिलेंस ने सात जून 2013 को एफआइआर दर्ज की थी।

मामले में कब क्या हुआ

जांच में प्रोसीजरल लैप्स पाए जाने की पुष्टि हुई। विजिलेंस जांच में तीनों के खिलाफ आरोप तैयार किए थे। डीएस मिन्हास तब डीजीपी, गोयल एडीजीपी मुख्यालय और वर्मा डीआइजी प्रशासन के पद पर कार्यरत थे। तीनों अफसरों के खिलाफ आरोप तैयार कर 26 दिसंबर 2013 को सरकार के पास भेजा गया। 6 मई 2017 को प्रधान सचिव ने विजिलेंस को सूचित किया कि इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए मामला प्रशासनिक सचिव के हवाले किया है। 31 मार्च 2017 को प्रशासनिक सचिव ने सोमेश गोयल के खिलाफ चार्जशीट ड्रॉप कर दी।

डीजीपी डीएस मन्हास के खिलाफ विभागीय इन्क्वायरी करने की अनुमति 18 फरवरी 2015 को मांगी गई। लेकिन गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के इस संबंध में भेजे गए प्रस्ताव को 13 जुलाई 2015 को स्वीकार नहीं किया। वर्मा के खिलाफ विभागीय प्रोसीडिंग आरंभ करने के लिए 23 अप्रैल 2014 को गृह मंत्रालय को भेजा। मंत्रालय ने राज्य सरकार से कुछ जानकारियां और मांगी जो 24 सितंबर 2015 को भेज दी गई। लेकिन मंत्रालय ने अभी तक इस बारे में स्वीकृति नहीं दी है।


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