छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप
250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में हुई गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। उच्चतर शिक्षा विभाग के तीन पूर्व निदेशक सहित पूर्व सचिव भी जांच की जद में आ गए हैं। तीनों अधिकारी वर्ष 2013 से लेकर 2016 तक निदेशक के पद पर कार्यरत थे। मौजूदा समय में तीनों ही रिटायर हो चूके हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : करीब 250 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। उच्चतर शिक्षा विभाग के तीन पूर्व निदेशक व दो पूर्व सचिव भी जांच की जद में आ गए हैं। तीनों अधिकारी वर्ष 2013 से 2016 तक निदेशक के पद पर कार्यरत थे जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए एक अधिकारी भी सीबीआइ के रडार पर हैं। जांच एजेंसी इन्हें भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। सूत्रों के अनुसार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) इन्हीं अधिकारियों की ओर से जारी किया गया था। सीबीआइ की जांच में सामने आया है कि करोड़ों रुपये हर साल छात्रवृत्ति के तौर पर बांटे जा रहे थे लेकिन संबंधित अधिकारियों ने मौके पर जाकर इसका निरीक्षण नहीं किया। छात्रवृत्ति आवंटन के लिए शिक्षा विभाग नोडल एजेंसी है। हालांकि विभागीय अधिकारियों से ज्यादा बैंक व निजी संस्थानों के अधिकारी इस मामले में फंस सकते हैं।
मोहाली के संस्थान संचालकों पर हो सकती है कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक मोहाली के एक निजी शिक्षण संस्थान के संचालकों पर कार्रवाई हो सकती है। इस संस्थान के 3315 विद्यार्थियों को वर्ष 2012-13 में छात्रवृत्ति दी गई थी। इसके अगले साल इस संस्थान में विद्यार्थियों की संख्या घटकर करीब 1922 हो गई। तीसरे साल 400 विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति दी गई। सीबीआइ इसका रिकॉर्ड खंगाल रही है कि क्या हिमाचल के एससी, एसटी और ओबीसी से संबंध रखने वाले विद्यार्थियों ने इसी संस्थान में प्रवेश लिया था। वर्ष 2015 में छात्रवृत्ति में गड़बड़झाले का मामला सामने आया था। दो कमेटियां कर रही हैं जांच
छात्रवृत्ति घोटाले में हुई गिरफ्तारी को लेकर शनिवार को शिक्षा निदेशालय में दिनभर चर्चा होती रही। छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद छात्रवृत्ति शाखा में नए कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। इस शाखा में दो कमेटियां हैं जो छात्रवृत्ति आवेदनों की जांच कर रही हैं। एक कमेटी को केवल 22 संस्थानों के छात्रवृत्ति आवेदनों का जिम्मा सौंपा गया है। ये वे संस्थान हैं जिनके खिलाफ सीबीआइ जांच हो रही है। दूसरी कमेटी प्रदेश के संस्थानों से आने वाले आवेदनों की जांच करती है।
--------- तीनों आरोपित आठ तक रिमांड
पर, जल्द और गिरफ्तारियां होंगी
राज्य ब्यूरो, शिमला : छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तार तीनों आरोपितों प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड टू अरविद राजटा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हेड कैशियर एसपी सिंह और ऊना के केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के उपाध्यक्ष हितेश गांधी को आठ जनवरी तक सीबीआइ रिमांड पर भेजा गया है।
तीनों आरोपितों को शनिवार को शिमला के सीबीआइ कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की गई। सीबीआइ के आग्रह को स्वीकारते हुए रिमांड प्रदान कर दिया गया। इस मामले में जल्द और गिरफ्तारियां होंगी। सीबीआइ ने तीनों आरोपितों से पूछताछ शुरू कर दी है जिनसे कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। इनके आधार पर कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है। सीबीआइ वर्ष 2013-14 से 2016-17 के दारैान 924 निजी शिक्षण संस्थानों को आवंटित छात्रवृत्तियों की जांच कर रही है। सीबीआइ यह भी जांच कर रही है कि जब छात्रवृत्तियों के फर्जी आवंटन का पता चल गया था तो इस घोटाले को क्यों नहीं रोका गया।
----------- छात्रवृत्ति घोटाले में तीन आरोपितों को आठ जनवरी तक रिमांड पर भेजा गया है। इस संबंध में जांच हो रही है। कई तथ्य सामने आए हैं जिनके आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
-आरके गौड़, प्रवक्ता, सीबीआइ