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भारतीय चमगादड़ों को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा लोगों को घबराने की जरूरत नहीं

हिमाचल में चमगादड़ों की 27 से 30 प्रजातियां पायी जाती हैं जबकि देश में 127 प्रजातियां पायी जाती हैं लेकिन ये इंसानों के लिए घातक नहीं हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 16 Apr 2020 07:51 AM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2020 07:51 AM (IST)
भारतीय चमगादड़ों को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा लोगों को घबराने की जरूरत नहीं
भारतीय चमगादड़ों को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा लोगों को घबराने की जरूरत नहीं

शिमला, रमेश सिंगटा। देशभर में कोरोना वायरस की दशहत के बीच हिमाचल के लिए सुकून भरी खबर है। हिमाचल के चमगादड़ों में अलग किस्म का बैट कोरोना वायरस पाया गया है, जो इंसान के लिए खतरनाक नहीं है। इसी तरह के वायरस लोमड़ी, गीदड़, बंदरों में पाए जाते हैं, पर वे कोविड-19 महामारी से संबंधित नहीं होते हैं।

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हिमाचल में चमगादड़ों की 27 से 30 प्रजातियां हैं। भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण (जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के अनुसार देश में इनकी 127 प्रजातियां हैं। पहाड़ी प्रदेश की बड़ी खूबी यह भी है कि यहां इनका शिकार नहीं किया जाता है। देश में बेशक इनकी तादाद कम हुई है, लेकिन राज्य में इनके ठिकाने ज्यादा नष्ट नहीं हुए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ये प्राणी पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

 ऊना, सिरमौर से लिए थे सैंपल

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायोलॉजिकल पुणो की लैब में जिन कुछ राज्यों के चमगादड़ों के सैंपल लिए गए थे, उनमें हिमाचल भी शामिल है। हिमाचल में यह सैंपल ऊना और सिरमौर से लिए गए थे। इन प्राणियों का ठिकाना प्रदेश के गर्म इलाकों में हैं। इनमें कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, मंडी, सिरमौर, सोलन, कुल्लू में ज्यादा पाए जाते हैं। सिरमौर में रेणुका झील के किनारे सफेदे के पेड़ों में इनका वास पाया गया है। आम के पेड़ों में भी इनका वास रहता है। पांच राज्यों के सैंपल में बैट कोरोना वायरस पाया गया।

हिमाचल में चमगादड़ों पर 2005 से 2010 तक सर्वेक्षण किया। करीब 28 प्रजातियां पाई गई। दोबारा ठिकाने देखे तो बरकरार थे। बीमारी के लिहाज से हमने शोध नहीं किया। प्रदेश में इनका शिकार होना नहीं पाया गया।

-उत्तम सैकिया, विज्ञानी, भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण शिलांग (मेघालय)। 

हिमाचल में चमगादड़ों में कोविड-19 संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए हैं। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। जो वायरस पाया गया है, उसकी मृत्यु दर कम है। यह प्राणी से इंसान में नहीं आ सकता है। इनकी संख्या का पता लगाना संभव नहीं है।

-डॉ. संदीप रतन, वेटरनरी ऑफिसर, वन्य प्राणी विंग हिमाचल।

चमगादड़ों से ही मलेशिया में निपाह वायरस आया था। यह बंगाल से होते हुए केरल तक आ गया था। चमगादड़ संक्रमण फैला सकते हैं। इकोलॉजी में इनके महत्व के बारे में शोध है, पर बीमारियों के बारे में हमारे यहां से ज्यादा विदेशों में शोध है। रोग आधारित शोध करने की जरूरत है।

-डॉ. पराग निगम, भारतीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून।

हम पशुधन पर तो शोध करते हैं, लेकिन प्रदेश से चमगादड़ों का कोई सैंपल नहीं आया है। सैंपल कहां से लिए इसकी हमें जानकारी नहीं है।

-डॉ. मंदीप शर्मा, डीन वेटरनरी कॉलेज, कृषि विवि पालमपुर।

भारतीय चमगादड़ों में कोरोना फैलाने की क्षमता नहीं : आइसीएमआर

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रमन आर.गंगाखेडकर ने कहा कि भारतीय चमगादड़ों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने की क्षमता ही नहीं है।

2003 डॉ. गंगाखेडकर ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि हमने एक शोध के दौरान देश के दो प्रजातियों के चमगादड़ों में बैट कोरोना नामक वायरस पाया है। लेकिन इस वायरस का कोविड-19 महामारी से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय चमगादड़ों में जो कोराना वायरस मिले हैं, उनसे संक्रमण नहीं होता है। उन्होंने यह भी बताया कि एक हजार साल में कभी संभव है कि कोरोना वायरस का संक्रमण इंसानों में पहुंचे।

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