केवल निर्देश देने तक सीमित टीटीआर
रमेश सिंगटा शिमला हिमाचल प्रदेश में सरकार ने टूरिस्ट ट्रैफिक एंड रेलवे पुलिस (टीटीआर) के नाम
रमेश सिंगटा, शिमला
हिमाचल प्रदेश में सरकार ने टूरिस्ट ट्रैफिक एंड रेलवे पुलिस (टीटीआर) के नाम से अलग महकमा तो खोल रखा है, लेकिन जिलों की पुलिस यातायात का कार्य खुद देखती है। इस महकमे के निर्देश राज्यस्तर पर जारी होते हैं, लेकिन यातायात की ड्यूटी निभाने वाले कर्मियों को इससे ज्यादा तवज्जो जिलों के पुलिस अधीक्षकों को देनी होती है। यह विभाग महज निर्देश देने वाला विभाग ही साबित हो रहा है। इसका टूरिस्ट से संबंधित कोई काम नहीं रहता है।
पहले रेलवे एंड ट्रैफिक विभाग होता था। बाद में इसे टीटीआर कर दिया। बेशक कोई व्यवस्थागत बदलाव नहीं हुआ हो। हालाकि सारे आधुनिक उपकरणों की खरीद इसी के माध्यम से होती है। चाहे वह एल्को सेंसर, डाप्लर या फिर ट्रैफिक जैकेट इसका आबंटन टीटीआर ही करता है। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस से जुड़े कर्मियों को खुफिया कैमरे भी प्रदान किए जाते हैं। हालाकि यह कैमरे सीआइडी के माध्यम से दिए जाते हैं।
जिलों में यातायात की ड्यूटी निभाने वाले कर्मचारियों पर काम का अधिक बोझ है। इनमें स्टाफ की काफी कमी बनी रहती है। जिस तरीके से शहरों का विस्तार हो रहा है और सड़कों पर वाहनों का बोझ बढ़ रहा है, उसके अनुपात में इनकी संख्या काफी कम है। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए इच्छाशक्ति का भी अभाव रहता है। यह जिला पुलिस कप्तान पर निर्भर करता है कि वह अपने जिले में ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए किस तरह के कड़े कदम धरातल पर उठाता है। जिलों की पुलिस सीधे तौर पर डीजीपी कार्यालय के अधीन आती है। ऐसे में राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश को मानना इनके लिए अनिवार्य होता है।
वाहनों को नियंत्रित करने के लिए स्टाफ की जरूरत
शहरी इलाकों में वाहनों को नियंत्रित करने के लिए स्टाफ की जरूरत रहती है। स्टाफ के अभाव में यह कार्य प्रभावित होता है। मानव संसाधन की कमी पूरी करने के लिए तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है।
........
हिमाचल में राष्ट्रीय राजमार्गो की लंबाई : 2592 किलोमीटर
लोक निर्माण विभाग के अधीन : 1238 किलोमीटर
एनएचएआइ के अधीन : 78 5 किलोमीटर
बीआरओ के अधीन : 569 किलोमीटर
सिंगल लेन : 471.875 किलोमीटर
इंटरमीडिएट लेन :242.330 किलोमीटर
डबल लेन एवं इससे ऊपर : 524.725 किलोमीटर
पीडब्ल्यूडी के पास मौजूदा एनएच : 19
सैद्धांतिक स्वीकृति : 69
प्रस्तावित लंबाई : 4312 किलोमीटर इस वर्ष ऑनलाइन प्रक्रिया
ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन : 82879
लìनग लाइसेंस स्वीकृति : 42563
अन्य सेवाएं स्वीकृत : 33356
आरसी संबंधी आवेदन : 9353
आरसी संबंधी स्वीकृति : 6763
डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन :18427 वाहनों के लाइसेंस के लिए नहीं काटने होंगे चक्कर
परिवहन विभाग नई पहल कर रहा है। इसके तहत वाहनों के नए लाइसेंस, पुराने रिन्यू करने और तैयार आरसी के लिए कार्यलयों के चक्कर नहीं काटने होंगे। ये पासपोर्ट की तर्ज पर घर पर ही मिल जाएंगे। ऐसा उन उपभोक्ताओं के लिए होगा , जिनके पास स्मार्टफोन हैं। उन्हें वाहनों मूल दस्तावेज वाहन में रखने की जरूरत नहीं रहेगी। वे डीजी लॉकर एप डाउनलोड कर दस्तावेजों का प्रिंट अपने पास रख सकते हैं। लाइसेंस, आरसी ऑनलाइन बनेंगे। इसके बाद भी किसी भी अधिकारी के पास नहीं जाना होगा। शिमला और कागड़ा जिले में ऑनलाइन सेवाएं आरंभ करने का प्रयोग सफल रहा है। इसे अब दूसरी जगहों पर भी लागू किया जाएगा।
कमिशन प्रथा खत्म
परिवहन विभाग ने कमिशन प्रथा खत्म की है। पहले सíवस प्रोवाइडर के नाम से दलाल सक्रिय थे, लेकिन जब से ऑनलाइन सेवा दी गई है, तब से इस पर रोक लगी है। इससे भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें भी नहीं आ रही है।