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छल से विवाह व धर्मातरण पर सात साल की कैद का प्रावधान

कई राज्य अब लव जिहाद के खिलाफ कानून बना रहे हैं लेकिन पहाड़ी राज्

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 09:16 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 09:16 PM (IST)
छल से विवाह व धर्मातरण पर सात साल की कैद का प्रावधान
छल से विवाह व धर्मातरण पर सात साल की कैद का प्रावधान

प्रकाश भारद्वाज, शिमला

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कई राज्य लव जिहाद के खिलाफ कानून बना रहे हैं, लेकिन पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश 14 साल पहले ही इस तरह की पहल कर चुका है। उस समय जबरन धर्मातरण करवाने वालों के खिलाफ कानूनी हथौड़ा चलाया था। उसमें कहा था कि विवाह के लिए धोखा देकर कोई धर्मातरण नहीं करवा सकता। इसके बाद मौजूदा सरकार ने 2019 में धर्म की स्वतंत्रता का नया विधेयक लाकर नया कानून बनाया है। इसमें छल, बल, प्रलोभन, धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन करवाने पर तीन माह से सात साल तक के कारावास का प्रावधान किया है। नए कानून को गैर जमानती अपराध बनाया गया है।

वर्ष 2006 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जबरन धर्मातरण पर चोट करने वाला कानून बनाकर सबको चौंका दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस आलाकमान का विरोध झेलने के बावजूद प्रदेश में यह कानून लागू किया था। मौजूदा भाजपा सरकार ने नया अधिनियम धर्मातरण की स्वतंत्रता के तहत लाया है। गौर रहे कि 2006 में 'दैनिक जागरण' की पहल पर राज्य में धर्मातरण विरोधी कानून अस्तित्व में आया था। पुराने व नए धर्मातरण कानून में अंतर

2019 में लाए धर्मातरण कानून में सजा का प्रावधान तीन माह से सात साल किया है। 2006 में जबरन धर्मातरण अधिनियम में सजा का प्रावधान दो साल का था। इसके अलावा महिला, नाबालिग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गो से जुड़े समुदायों में धर्म परिवर्तन करवाने के मामलों में कारावास की सीमा सात साल थी। तब कानून को कुल्लू के एक व्यक्ति ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इसके मूल भाव पर कटौती होने के कारण सरकार ने 2019 में धार्मिक स्वतंत्रता के संबंध में नया कानून बनाया।

जिला उपायुक्त को देनी पड़ेगी सूचना

पुराने कानून में जिला उपायुक्त को सूचित करने का प्रावधान नहीं था। नए कानून में धर्मातरण करने के लिए लिखित तौर पर व्यक्ति को संबंधित जिला उपायुक्त को तीन माह पहले देना अनिवार्य है। उपायुक्त इसकी सत्यता प्रमाणित करने के लिए पुलिस को मामला भेजेंगे। उसके बाद धर्मातरण करवाने वाले धर्म विशेष के धर्माचार्य से ही पूछताछ होगी। कानून बनाया पर गृह विभाग ने लागू नहीं करवाया

मौजूदा सरकार ने हर प्रदेशवासी की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए 2019 में नया कानून लाया है। गृह विभाग ने विधानसभा में बिल पारित होने और विधि विभाग से नियम-उप नियम बनने की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद भी इसे लागू नहीं किया है। छह नवंबर 2019 को विधि विभाग ने नया अधिनियम राजपत्र में प्रकाशित कर दिया था। विधि विभाग ने छह अगस्त 2020 को लिखकर सलाह दी कि कानून लागू किया जाए, लेकिन वीरवार को भी पूरा दिन गृह विभाग फाइलें छानता रहा। इन दिनों गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार अवकाश पर हैं। ऐसे में उनके विभाग का अतिरिक्त जिम्मा अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान के पास है।

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हैरानी की बात है कि राज्य में धर्मातरण पर रोक का नया कानून बना है मगर अभी तक लागू नहीं हो पाया है। विश्व हिदू परिषद (विहिप) इस संबंध में राज्यपाल और मुख्यमंत्री को लिखित तौर पर अवगत करवा चुकी है। पहाड़ी लोगों को बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जहां तक लव जिहाद की बात है तो राज्य में कई साल से ऐसी 123 घटनाएं हो चुकी हैं।

- नीरज डोनोरिया, प्रांत संगठन मंत्री विहिप।


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