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भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेल प्रोजेक्ट में बजट का पेंच

राज्य ब्यूरो शिमला : हिमाचल में प्रस्तावित भानुपल्ली- बिलासपुर-बेरी रेल परियोजना अभी जमीन पर उत

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Jan 2018 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 03:01 AM (IST)
भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेल प्रोजेक्ट में बजट का पेंच
भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेल प्रोजेक्ट में बजट का पेंच

राज्य ब्यूरो शिमला : हिमाचल में प्रस्तावित भानुपल्ली- बिलासपुर-बेरी रेल परियोजना अभी जमीन पर उतरती नजर नहीं आ रही है। इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण पर होने वाला खर्च सबसे बड़ा अड़ंगा डाल रहा है। प्रदेश सरकार ने पत्राचार के माध्यम से केंद्र से मांग उठाई है कि परियोजना पर आने वाला पूरा खर्च वही उठाए।

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दरअसल भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेललाइन परियोजना के लिए 75 अनुपात 25 फीसद के तहत खर्च उठाने की शर्त रखी गई थी। ऐसे में 25 फीसद खर्च प्रदेश सरकार को वहन करना होगा। लेकिन भूमि अधिग्रहण करने के लिए यह शर्त केवल 70 करोड़ रुपये तक ही मान्य है। इसके बाद भूमि अधिग्रहण के लिए जो भी खर्च होगा वह प्रदेश को ही उठाना पड़ेगा। ऐसे में प्रदेश सरकार पर आर्थिक बोझ और भी बढ़ जाएगा। प्रदेश सरकार हवाला दे रही है केंद्र सरकार ने रेललाइन लेह तक पहुंचाने की घोषणा की है। ऐसे में भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी लाइन बनाने का खर्च भी केंद्र ही उठाए। यह प्रोजेक्ट करीब 63 किलोमीटर लंबा है और इसके लिए करीब तीन हजार करोड़ रुपये का खर्च होगा। दरअसल प्रदेश सरकार ने पहले परियोजना के हाथ से निकलने के डर से 75:25 अनुपात से खर्च उठाने की शर्त मान ली थी। लेकिन अब प्रदेश में बजट की कमी के कारण इस शर्त को हटाकर पूरा खर्च केंद्र सरकार को उठाने के लिए मनाने की कोशिश की जा रही है।

बद्दी-चंडीगढ़ रेललाइन भी ठंडे बस्ते में

प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी को रेललाइन से जोड़ने की परियोजना भी सिरे चढ़ती नजर नहीं आ रही है। हालांकि इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। भूमि अधिग्रहण के पेंच के कारण यह अभी ठंडे बस्ते में चली गई है। सूत्रों की मानें तो हिमाचल सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए नेगोशेशन कमेटी का गठन किया है, लेकिन वह भूमि अधिग्रहण कर अपने करोड़ों रुपये फंसाना नहीं चाह रही है। दरअसल बद्दी-चंडीगढ़ रेललाइन के लिए प्रदेश की करीब 345 बीघा भूमि का अधिग्रहण होना है और इस पर 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना पर खर्च होने वाले बजट को केंद्र और प्रदेश सरकार आधा-आधा वहन करेंगे। वहीं हरियाणा में इससे करीब दोगुणा ज्यादा भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। यह लाइन हिमाचल के नजरिए से तो महत्वपूर्ण है, लेकिन हरियाणा के लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है। यही वजह है कि हरियाणा इस मामले को प्राथमिकता से नहीं ले रहा है।

जोगेंद्रनगर-पठानकोट तक बड़ी रेल की उम्मीद

केंद्र के रेल बजट से उम्मीद है कि जोगेंद्रनगर-पठानकोट नेरोगेज रेल लाइन पर बड़ी पटरी के निर्माण करने के लिए मंजूरी मिल सकती है। इस संबंध में भी प्रदेश सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा है।

नंगल-तलवाड़ा रेललाइन

नंगल से तलवाड़ा रेल परियोजना के लिए भी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई है। करीब 83.74 किलोमीटर लंबी इस लाइन के लिए 19 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें से बीस किलोमीटर लंबी लाइन के लिए भू अधिग्रहण कर लिया है। इसमें से दस किलोमीटर पंजाब और दस किलोमीटर हिमाचल की जमीन है। इसका सर्वे का 99 फीसद काम पूरा हो चुका है। इस परियोजना पर करीब 2100 करोड़ रुपये खर्च किया जाना है, जोरेलवे विभाग ही उठा रहा है।


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