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खाद की कमी के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार

राज्य ब्यूरो शिमला हिमाचल में खाद पहुंचाने में हो रही दिक्कत के लिए पंजाब सरकार जिम्मे

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 07:31 PM (IST)
खाद की कमी के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार
खाद की कमी के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में खाद पहुंचाने में हो रही दिक्कत के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार है। उसे किसानों के हित में खाद व अन्य सामग्री को रेल के माध्यम से आने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वीरवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन मांग पूरा करने के लिए इसकी आपूर्ति लगातार होना जरूरी है। पंजाब में हो रहे किसान आंदोलन के कारण खाद सप्लाई में दिक्कत आ रही है। इसके लिए पंजाब सरकार की कार्यप्रणाली जिम्मेदार है।

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इससे पहले मुख्यमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हिमफेड और गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्ज लिमिटेड (जीएसएफसी) के संयुक्त उपक्रम के तहत घरेलू तरल बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट उर्वरक का शुभारंभ किया। जीएसएफसी ने हिमाचल के किसानों और बागवानों की सुविधा के लिए तरल बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट, न्यूट्री प्लस, अमोनियम सल्फेट और बोरोनेटिड कैल्शियम का उत्पादन आरंभ किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले इस उर्वरक को दूसरे देशों से आयात किया जाता था। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं शहरी विकास और सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने किसानों को सहायता प्रदान करने में हिमफेड के प्रयासों की सराहना की।

पैट्रोल पंप खोलने के लिए 10 स्थान चिह्नित : गणेश दत्त

हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा कि हिमफेड को कुछ वर्ष से नुकसान हो रहा था। दो साल के दौरान 1.11 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। हिमफेड ने प्रदेश में और अधिक पैट्रोल पंप स्थापित करने के लिए 10 स्थान चिह्नित किए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से हिमफेड का सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न श्रेणियों के रिक्त पद भरने का भी आग्रह किया।

कृषि-बागवानी क्षेत्र को मिलेगा नया आयाम : अग्रवाल

जीएसएफसी के मुख्य प्रबंध निदेशक अरविंद अग्रवाल ने कहा कि जीएसएफसी और हिमफेड के मध्य समझौते से हिमाचल में बागवानी और कृषि क्षेत्र को नया आयाम मिलेगा। हिमाचल को वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 20 करोड़ और अगले वित्त वर्ष के दौरान 31 करोड़ रुपये के उर्वरक उपलब्ध करवाए जाएंगे।


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