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शिमला की हवा में जहर घोल रहा सरकारी विभाग

दिल्ली में वायु प्रदूषण की चिता चारों ओर देखी जा सकती है। इसी संबंध में सुप्रीमकोर्ट ने चार राज्यों के मुख्य सचिवों को करारी फटकार लगाई है। उन्हें प्रदूषण रोकथाम के लिए ठोस उठाने के निर्देश दिए हैं। इधर शिमला में सरकारी विभाग सरेआम साफ सुथरे वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। कोई कारवाई न होते देख रिटायर एडीएम बीआर कौंडल ने भट्ठी में तारकोल को पिघला कर तारकोल जलाने से बिगड़ रहे प्रदूषण का संवेदनशील मुद्दा उठाया है। उन्होंने पुलिस विभाग से ऑनलाइन शिकायत की है। इस शिकायत में उन्होंने लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर समेत कई अफसरों के खिलाफ इन्वायरनमेंट लॉ और भारतीय दंड संहिता के तहत एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने इसे लेकर मुख्य सचिव से भी कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 07:10 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 07:10 PM (IST)
शिमला की हवा में जहर घोल रहा सरकारी विभाग
शिमला की हवा में जहर घोल रहा सरकारी विभाग

रमेश सिंगटा, शिमला

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राजधानी शिमला की हवा में सरकारी विभाग ही जहर घोल रहा है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सरेआम वातावरण प्रदूषित कर रहा है। कोई कार्रवाई न होते देख सेवानिवृत्त एडीएम बीआर कौंडल ने भट्ठी में कोलतार को पिघला कर इसे जलाने से बिगड़ रहे प्रदूषण का मुद्दा उठाया है। उन्होंने पुलिस विभाग से ऑनलाइन शिकायत की है।

बीआर कौंडल ने शिकायत में पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर समेत कई अधिकारियों के खिलाफ इन्वायरनमेंट लॉ और भारतीय दंड संहिता के तहत एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने इस मामले में मुख्य सचिव से भी कई सवाल उठाए हैं। कौंडल कोलतार से प्रदूषित हो रही हवा के फोटो व वीडियो सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजेंगे।

पुलिस को भेजी शिकायत में उन्होंने टारिग के लिए कोलतार पिघलाने के परंपरागत तरीके बंद करने की मांग की है। इसकी जगह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने को कहा है ताकि हिमाचल की हवा प्रदूषित न हो। यह शिकायत डीजीपी कार्यालय से शिमला के थाना सदर भेजी गई है। अब पुलिस शिकायतकर्ता के बयान दर्ज करेगी। छह महीने की सजा

पूर्व प्रशासनिक अधिकारी बीआर कौंडल के अनुसार पर्यावरण बिगाड़ने वाले संस्थान अथवा व्यक्ति को छह महीने तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। शिकायत के अनुसार शिमला के ऑकलैंड स्कूल के पास कोलतार जलाने का सीधा असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कुछ दूरी पर ही आइजीएमसी अस्पताल है। उन्होंने सवाल उठाया कि वहां से आने-जाने वाले बड़े अधिकारियों खासकर जिला प्रशासन ने इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया? क्यों राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राजधानी में ही खामोश है? कौंडल ने कहा कि कोलतार जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और मोनोक्साइड निकलती है जो पर्यावरण व लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है। पुरानी है कोलतार जलाने व पिघलाने की तकनीक

कोलतार जलाने व पिघलाने की पुरानी तकनीक है। इससे पर्यावरण तो बिगड़ता ही है, लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। काम करने वाले मजदूरों की सेहत के लिए भी यह अत्यंत हानिकारक है। इसकी जगह नई तकनीक का उपयोग होना चाहिए।

डॉ. ओपी भूरेटा, पर्यावरणविद, शिमला बंद होंगी कोलतार की भट्ठियां

लोक निर्माण विभाग कोलतार की भट्ठियां तत्काल बंद करवाएगा। अगर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने शिकायत दर्ज करवाई है तो हम इसका कड़ा संज्ञान लेंगे। एसई लोकल को कड़े निर्देश जारी किए जाएंगे। पुरानी की जगह नई तकनीक अपनाएंगे।

ललित भूषण, चीफ इंजीनियर, साउथ जोन शिमला, पीडब्ल्यूडी


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