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नदी-नालों में नहीं बहेगी करोड़ों की संपदा

हिमाचल के पास अपार जल संसाधन हैं। अब यह संसाधन बरसात में बाढ़ बनकर कहर नहीं मचाएंगे

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 07:18 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 07:18 PM (IST)
नदी-नालों में नहीं बहेगी करोड़ों की संपदा
नदी-नालों में नहीं बहेगी करोड़ों की संपदा

रमेश सिंगटा, शिमला

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हिमाचल के पास अपार जल संसाधन हैं। अब यह संसाधन बरसात में बाढ़ बनकर कहर नहीं मचा पाएंगे। बाढ़ बचाव प्रोजेक्ट इस प्राकृतिक आपदा को रोकेगा। इस संबंध में राज्य सरकार को जल्द ही केंद्र की ओर से बड़ी सौगात मिलने वाली है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार इस पहाड़ी प्रदेश के लिए 4850 करोड़ रुपये का बड़ा प्रोजेक्ट स्वीकृत करेगी। प्रोजेक्ट ने पहली सीढ़ी पार कर ली है। मसलन इसे नीति आयोग ने सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। अभी यह केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के पास है। आयोग इस पर अपनी राय देगा। वहां से क्लीयर होने के बाद इसके लिए फंडिंग एजेंसी ढूंढ़ी जाएगी। यह एजेंसी विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट (एडीबी) के अलावा हो सकती है। यह दोनों बैंक हिमाचल को कई प्रोजेक्टों की फंडिंग कर रहे हैं। ऐसे बचेंगे नदी-नाले

प्रदेश की प्रमुख नदियों, सहायक नदियों, खड्डों, नालों में चेकडैम बनेंगे। इससे बरसात में करोड़ों की संपत्ति बहने से बचेगी। इनके आर-पार दीवारों की निर्माण होगा, जो सुरक्षा कवच की तरह कार्य करेंगी। बांधों में जमा पानी का इस्तेमाल किसान अपनी जमीन की सिंचाई के लिए कर सकेंगे। किसानों की बदलेगी आर्थिकी

इस परियोजना से किसानों की आर्थिकी में बदलाव होगा। उनकी बंजर जमीन भी उपजाऊ में तब्दील हो सकेगी। ऊना की स्वां नदी की तर्ज पर ऐसा होगा। इसके अलावा प्रोजेक्ट से भूमि कटाव भी रुकेगा। इस बार 1500 करोड़ का नुकसान

इस साल बरसात में राज्य को 1500 करोड़ का नुकसान हुआ। इसमें संपत्ति का नुकसान भी शामिल हैं। बरसात ने जाते-जाते लाहुल स्पीति में भी बड़ा नुकसान पहुंचाया था। वहां भारी बारिश की वजह से करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

केंद्र सरकार से हिमाचल को लगातार सौगातें मिल रही हैं। सिंचाई से जुड़े प्रोजेक्ट की संशोधित डीपीआर तैयार की जा रही है। बाढ़ से बचाव के लिए बड़ा प्रोजेक्ट भी जल्द ही मंजूर हो जाएगा।

महेंद्र सिंह ठाकुर, आइपीएच मंत्री 4850 करोड़ के प्रोजेक्ट से हिमाचल के नदी एवं नालों में बहने वाली संपत्ति का बचाव होगा। फसलों का नुकसान कम हो जाएगा। किसानों की आर्थिकी में भी बड़ा बदलाव आएगा।

सुमन बिक्रांत, ईएनसी, आइपीएच विभाग


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