ये हैं मुनाफे की पाठशालाएं..
हिमाचल में निजी शिक्षण संस्थान मुनाफे की पाठशालाएं साबित हो रहे हैं। फीस और वर्दी के नाम पर लूट के खिलाफ अभिभावक आंदोलित हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल में निजी शिक्षण संस्थान मुनाफे की पाठशालाएं साबित हो रहे हैं। फीस और वर्दी के नाम पर लूट के खिलाफ अभिभावक आंदोलित हैं। बावजूद इसके न तो फीसों में बढ़ोत्तरी पर रोक लग पा रही और न ही सरकार मनमानी पर कड़ा शिकंजा कस पा रही है। प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थान सालाना एक हजार दो सौ करोड़ का कारोबार कर रहे हैं। ये दावा छात्र अभिभावक मंच कर रहा है।
मंच के अनुसार प्रदेश में 1472 निजी स्कूल हैं। इनमें अकेले शिमला शहर में ही डेढ़ सौ संस्थान हैं। संगठन ने इन संस्थानों के मुनाफे पर रोक लगाने के प्रति सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाए हैं। आरोप है कि शिक्षा के नाम पर चल रहे व्यापार को संरक्षण मिल रहा है। मंच के मुताबिक आंदोलन के कारण शिक्षा विभाग हरकत में तो आया पर अभी तक यह केवल इंस्पेक्शन तक ही सीमित है। आरोप है कि विभाग इंस्पेक्शन में भी पिक एंड चूज कर रहा है। नामी और रसूखदार संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने आरोप लगाया है कि शिक्षा के नाम पर यह व्यापार सरकार की आंख के नीचे बेरोकटोक तरीके से जारी है। उनका दावा है कि निजी स्कूलों में फीसों के नाम पर व्यापार करीब एक हजार दो सौ करोड़ रुपये का है। इसमें शुद्ध मुनाफा लगभग 525 करोड़ रुपये का है। विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने की आड़ में यह धंधा चल रहा है। अभिभावकों पर हर वर्ष हजारों रुपये का बोझ फीस के रूप में डालकर भी निजी स्कूल संतुष्ट नहीं हैं। किताबों, ड्रेस व स्कूल कार्यक्रमों के नाम पर भी अभिभावकों को ठगा जा रहा है।
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क्या है कि मांग
छात्र अभिभावक मंच की मांग है कि निजी स्कूलों की लूट व मनमानी को रोकने के लिए प्रदेश सरकार को एक नीति लानी चाहिए। निजी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को संचालित करने के लिए निजी शिक्षण संस्थान (नियामक आयोग) अधिनियम 2010 लागू किया गया, लेकिन निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए कोई रेगुलेटरी कमीशन नहीं बनाया गया।
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निजी स्कूल संचालकों ने लगाया माहौल खराब करने का आरोप
प्रदर्शन करने वालों पर पाबंदी लगाने की मांग
आज करेंगे राज्यपाल से मुलाकात जागरण संवाददाता, शिमला : निजी शिक्षण चलाने वाले संचालकों ने आरोप लगाया कि कुछ लोग प्रदेश में शिक्षा के माहौल को खराब कर रहे हैं। हिमाचल निजी स्कूल वेलफेयर सोसायटी ने तय किया है कि वह इस संबंध में सोमवार को राज्यपाल को ज्ञापन देंगे। उन्होंने बैठक में समस्याओं से जूझ रहे निजी स्कूलों पर चर्चा की। बैठक में विभिन्न खंडों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं जिला कार्यकारणी के अध्यक्ष दिनेश शर्मा, मुख्य सलाहकार एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं समिति के मीडिया सेल अध्यक्ष सुभाष रपटा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश रढाईक, महासचिव नरेश ऐरी, कोषाध्यक्ष प्रदीप शर्मा, सत्य गाजटा, गोपाल वर्मा, प्रबंधक समिति के अध्यक्ष ज्ञान वर्मा, मोनाल स्कूल से पूनम, जीवन ज्योति से कल्पना, ज्ञान ज्योति से सुरेश, कुलदीप, सानू चंदेल, कमलेश शर्मा, अशोक शर्मा, वर्मा, एचडी स्कूल जनेडघाट, कोटखाई पब्लिक स्कूल, संतोष पब्लिक स्कूल, हिमालयन पब्लिक स्कूल, दिव्या ज्योति पब्लिक, माया पब्लिक स्कूल मशोबरा के प्रबंधकों ने सरकार से उनके लिए स्थायी नीति की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि सड़क में कुछ राजनीतिक संगठन सिर्फ प्रदेश में शिक्षा पर राजनीति कर रहे हैं, जो लोग सड़कों पर नारे लगा रहे हैं उनमें से एक भी अभिभावक नहीं हैं। ऐसे संगठनों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल सरकार के नियमों का पालन करते आए हैं। शिक्षा विभाग ये भूल चुका है कि देश में सात करोड़ बच्चे निजी स्कूलों में उच्च गुणात्मक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
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शिक्षा के नाम पर लूट, मनमानी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जहां से भी शिकायत आती है, वहां तत्काल कार्रवाई की जाती है। अभिभावक विभाग के पास शिकायत करें। विभाग ने कई जगहों पर इंस्पेक्शन भी की है।
-डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा, उच्चतर शिक्षा निदेशक।