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ग्रामीण रूटों पर हड़ताल का असर, 50 फीसद की शर्त ने बढ़ाई दिक्कत

जागरण संवाददाता शिमला राजधानी शिमला में टैक्स माफ सहित अन्य मांगों के समर्थन में निजी बस

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 04:53 PM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 04:53 PM (IST)
ग्रामीण रूटों पर हड़ताल का असर, 
50 फीसद की शर्त ने बढ़ाई दिक्कत
ग्रामीण रूटों पर हड़ताल का असर, 50 फीसद की शर्त ने बढ़ाई दिक्कत

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला में टैक्स माफ सहित अन्य मांगों के समर्थन में निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। जिलेभर में निजी बसों के पहिये थमे रहने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि शिमला शहर में हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) अतिरिक्त बसें चला रहा है।

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हड़ताल के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ज्यादा दिक्कतें पेश आ रही हैं। सरकार ने बसों में 50 फीसद सवारियों को बैठाने का निर्णय लिया है। यदि कोई तय सीटों से ज्यादा सवारियां बैठाता है तो उसका चालान काट दिया जाता है। इस डर से चालक बसों में आधी ही सीटों पर सवारियों को बैठा रहे हैं।

शिमला से धामी, घणाहट्टी, नालहट्टी, कोहबाग, बलैण, कुफ्टू, हरिदेवी, मलावण सहित अन्य रूटों पर चलने वाली बसों में लोगों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ी। लोगों का कहना है कि निजी बसें न होने के कारण निगम की बसों में लोकल सवारियां बैठ जाती हैं। जिसके चलते उन्हें सीटें नहीं मिलती और घर जाने के लिए निजी वाहन हायर करने पड़ते हैं। ऊपरी शिमला जाने वाली बसों में भी ऐसा ही हाल रहा। लोगों ने सरकार से मांग की है कि हड़ताल को जल्द खत्म की जाए।

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हड़ताल के समर्थन में उतरी सीटू

सीटू राज्य कमेटी ने निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल का समर्थन किया है। सीटू ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि निजी बस ऑपरेटरों की मांगों को तुरंत माना जाए व जनता को राहत प्रदान की जाए। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल जायज है। कोरोना महामारी में पिछले सवा एक वर्ष से ट्रांसपोर्टरों की हालत दयनीय हो गई है। सवारियों की संख्या गिरी है वहीं शारीरिक दूरी के नियमों से बसों में सवारियों की संख्या सीमित करनी पड़ी है। इसके साथ ही डीजल की भारी कीमतों से कारोबार करना मुश्किल हो गया है। इस सबसे एक ओर निजी बसों के मालिक घाटे में चले गए हैं। उन्होंने कहा कि देश की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी ज्यादातर बस संचालक छोटे ट्रांसपोर्टर हैं जो बैंक से कर्जा लेकर निजी बसों को चला रहे हैं। इस सारी पृष्ठभूमि में उन्हें बैंक की किश्त देना भी मुश्किल हो गया है। इसलिये यह बेहद जरूरी है कि प्राइवेट बस ट्रांसपोर्टरों को सरकार की ओर से मदद दी जाए।


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