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पापा ने रोका प्रदूषण, रोग भी भगाया

पॉल्यूशन अबेटिग प्लांट्स अभियान (पापा) ने हिमाचल प्रदेश में औषधीय गुणों वाले पौधे रोपित कर न केवल प्रदूषण नियंत्रित किया बल्कि रोगों को भी भगाया। एक साथ दो गंभीर समस्याओं का सफाया किया। यह अभियान जन अभियान बन गया है। इससे प्रदेश के औद्योगिक घराने भी जुड़ रहे हैं। पिछले एक साल के अंदर इसके तहत 1 लाख 60 हजार पौधे रोपे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 04:47 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 04:47 PM (IST)
पापा ने रोका प्रदूषण, रोग भी भगाया
पापा ने रोका प्रदूषण, रोग भी भगाया

रमेश सिंगटा, शिमला

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पॉल्यूशन अबेटिग प्लांट्स अभियान (पापा) के तहत हिमाचल प्रदेश में औषधीय गुणों वाले पौधे रोपे कर न केवल प्रदूषण नियंत्रित किया गया बल्कि रोगों को भी भगाया गया। एक साथ दो गंभीर समस्याओं का सफाया किया गया। यह अभियान जन अभियान बन गया है। इससे प्रदेश के औद्योगिक घराने भी जुड़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले साल मंडी जिले के सुंदरनगर से पांच जून को पापा अभियान की शुरुआत की थी। इस अनूठी मुहिम के जरिये पौधरोपण से पर्यावरण संरक्षण के अलावा अस्थमा, फेफड़ों से संबंधित रोगों, मधुमेह व असामायिक मौतों से भी बचाव संभव हुआ है। अभियान के तहत वायु शुद्ध होने के साथ ऑक्सीजन की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शिमला ने अहम सरकारी संस्थानों की आबोहवा को साफ करने के लिए 18 प्रजातियों के 300 से अधिक पौधे लगाए हैं। ये पौधे मंत्रियों से लेकर अधिकारियों के कार्यालय में सजे हैं। इसके अलावा सचिवालय, हाईकोर्ट व प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में भी ऐसे इनडोर प्लांट रखे गए हैं। अभियान के तहत रोपे गए स्नेक प्लांट ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाएंगे। वहीं, स्पाइडर प्लांट डस्ट एलर्जी से रोकथाम करेंगे। ये हैं प्रदूषित शहर

हिमाचल में डमटाल, कालाअंब, नालागढ़, सुंदरनगर, बद्दी, परवाणू, पांवटा व ऊना सबसे प्रदूषित शहर हैं। ये शहर देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित 94 शहरों में शामिल हैं। आइआटी कानपुर और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्ययन में ये शहर वायु की गुणवत्ता मानकों में खरे नहीं उतरे हैं। कई शहरों में धूल कण की मात्रा बढ़ गई है। वाहनों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। इस कारण इन शहरों में पापा अभियान चलाना पड़ा। इन प्रजातियों के पौधे रोपे

अभियान के तहत 27 प्रजातियों के पौधे रोपे गए हैं। अब यह सिलसिला फिर शुरू होगा। रोपे जाने वाले पौधों में पीपल, बरगद, अर्जुन, बहेड़ा, जामुन, सिरिस, नीम, मुस्की कपूर, महानीम, करंज, बेल, कचनार,  अमलतास, आंवला, सुहानजन, हारसिंगार, चाइना रोज, जटरोपा, पीत कनेर, सफेद चमेली, रात की  रानी, कपूर तुलसी, घृतकुमारी, स्पाइडर प्लांट,  रोजमेरी, कड़ी पत्ता व बसूंटी शामिल हैं। स्पाइडर प्लांट, गोल्डन पोथोस, पीस लिली,  चाइनीज सदाबहार, घृतकुमारी, गेरबेरा जेड़ी,  गुलदाउदी, इंग्लिश आइवी, स्नेक प्लांट, रेफिस पाम व एरेका पाम पौधे घर के अंदर लगाए जा सकते हैं। वन विभाग का सहयोग

डमटाल में करीब 12 हेक्टेयर में पौधे रोपे जाएंगे। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 20 लाख रुपये खर्च करेगा। तीन साल तक वन विभाग पौधों की देखभाल करेगा। सिरमौर के यमुना नदी के किनारे भी पहल होगी। वहां के उपायुक्त के माध्यम से इस संबंध में शुरुआत होगी। अभियान के बेहतर नतीजे

पापा अभियान के तहत कितना प्रदूषण घटा, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन इससे लोगों में जागरूकता आई है। इसी कारण यह जनअभियान बन पाया है। औद्योगिक इकाइयों ने सहयोग किया है। खासकर उन शहरों में जहां वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया था, यह निरंतर चलने वाली मुहिम है। अभियान के बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं।

डॉ. आरके परुथी, पूर्व सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं उपायुक्त सिरमौर


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