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'मेरे बगीचे में आ जाओ, मुझे बीस की अर्जेट जरूरत है..'

रमेश सिगटा शिमला हिमाचल प्रदेश में धारा 11

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 07:34 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 07:34 PM (IST)
'मेरे बगीचे में आ जाओ, मुझे बीस की अर्जेट जरूरत है..'
'मेरे बगीचे में आ जाओ, मुझे बीस की अर्जेट जरूरत है..'

रमेश सिगटा, शिमला

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हिमाचल प्रदेश में धारा 118 की स्वीकृतियों के बदले कथित घूसखोरी से जुड़ी पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा की बहुचर्चित ऑडियो सीडी की विजिलेंस जांच में कई खुलासे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार इसकी करीब 60 क्लिप हैं। इनसे जुड़ा रिकॉर्ड जांच एजेंसी ने शुक्रवार को शिमला स्थित जिला एवं सत्र न्यायाधीश वन न्यायमूर्ति अरविद मल्होत्रा की अदालत में पेश किया। इसमें दिल्ली के कारोबारी एमके जैन व परवाणू के कारोबारी विनोद मित्तल और मित्रा व विनोद मित्तल के बीच वार्तालाप हुई है।

26 अगस्त, 2010 को जैन और मित्तल के बीच वार्तालाप में आरोपित जैन कहता है, 'मैं आपके पास प्रतिनिधि भेज रहा हूं। उससे दस कलेक्ट कर लेना.. मैं सौ फीसद रिश्वत एडवांस में नहीं देना चाहता हूं। हां, काम होने के बाद दे दूंगा।' एक और क्लिप में कहा, 'हमारा एग्रीमेंट 15 से 20 के बीच हुआ था। पर वह दस ज्यादा मांग रहा है। दस पेटी है, पूरी चैल्सी रिजॉर्ट की 118 की क्लीयरेंस करवाने की फाइल के।'

18 सितंबर को विनोद मित्तल और पी मित्रा के बीच वार्ता हुई। इसमें मित्रा कहते हैं, 'मित्तल जी, 30 का अमाउंट था, कब दोगे? ऐसे करो कि मेरे बगीचे में आ जाओ। मुझे 20 की अर्जेट जरूरत है। दो दिन के अंदर अरेंज करो।' जवाब में मित्तल ने कहा, 'मेरा आदमी आपके पास आकर दे जाएगा।' क्लिप में आगे विवेक डोगरा होटल व्यावसायी भी आते हैं।

डोगरा और विनोद के बीच भी बात हुई। इसमें कहा किया पैसा डी पार्क में डिलीवर हो गया। जांच के अनुसार डोगरा मित्रा के लिए काम कर रहा था। कसौली में चैल्सी रिजॉर्ट बनना था। इसके लिए दिल्ली के कारोबारी एमके जैन ने धारा 118 की स्वीकृति दिलाने के लिए 2006 में फाइल सरकार के पास भेजी थी। यह तब खारिज हो गई थी। मित्रा ने इसे 2010 में राजस्व सचिव रहते स्वीकृत कर दिया। उन्होंने कमियां नजरअंदाज कर फाइल आगे भेज दी। सारी क्लिपिग जून-जुलाई, 2010 से लेकर मार्च, 2011 के बीच की है। मित्रा ने सीने से लगाए रखी फाइल

धारा 110 की मंजूरी को लेकर गंभीर आरोपों से घिरे मौजूदा राज्य निर्वाचन आयुक्त पी मित्रा ने पॉलीग्राफ टेस्ट की अर्जी की सुनवाई के दौरान लालफीते से बंधी निजी फाइल सीने से लगाई रखी। पहले केस की सुनवाई 10 बजकर तीन मिनट पर हुई। कुछ देरी के बाद 20 मिनट तक अभियोजन एवं बचाव पक्ष के बीच दलीलें होती रहीं। मित्रा के वकील अजय कोछड़ ने आरोपित के पक्ष में कई तर्क दिए, जबकि जिला न्यायवादी एस अत्री ने पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने इस संबंध में आरुषि हत्याकांड में कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। आदेश देने से पहले न्यायाधीश ने आधे घंटे बाद फिर सुनवाई की। उन्होंने विजिलेंस से वार्तालाप का तमाम रिकॉर्ड अपने पास तलब किया था। यह रिकॉर्ड कोर्ट में ही रखा गया। मित्रा करीब दो घंटे तक कोर्ट परिसर में जहां भी रहे फाइल अपने साथ ही रखी।

पहली दिसंबर पर होंगे आदेश

अब कोर्ट पहली दिसंबर को पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने की अनुमति देने या न देने पर आदेश सुनाएगा। विजिलेंस के अनुसार सीडी की सच्चाई सामने आने के लिए टेस्ट करवाना जरूरी है। हालांकि आरोपित खराब सेहत का हवाला देकर इस पर सहमति देने से इन्कार कर रहे हैं।

मैं कहां जाउं जी : मित्रा

जैसे ही कोर्ट से सुनवाई के लिए पहली दिसंबर की तारीख पड़ी, मित्रा जिला न्यायवादी से बोले, 'मैं कहां जाऊं जी? पहली ही दिसंबर को हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई भी होनी है, दोनों जगह मैं कैसे जा सकता हूं जी।' इस पर डीए ने कहा, 'आप हाईकोर्ट जाएं जिला अदालत में आने की जरूरत नहीं है।'


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