हिमाचल: पहाड़ पर अब मतदाता की बारी, 53 लाख से ज्यादा मतदाता 19 मई को करेंगे मतदान
हिमाचल में 19 मई 53 लाख से ज्यादा मतदाता मतदान का प्रयोग करेंगे जनता के पास यही तो एकमात्र लोकतांत्रिक औजार है अपने प्रतिनिधि चुनने का मनपसंद सरकार बनाने का।
धर्मशाला, नवनीत शर्मा। बस कुछ ही लम्हे और...। हिमाचल प्रदेश के 53 लाख से ज्यादा मतदाता 19 मई को मताधिकार का प्रयोग करेंगे। वे सबको सुन चुके हैं... सबको कहते हुए देख चुके हैं... अब उनकी बारी है। यह बारी पांच वर्ष के बाद आती है, इसलिए उम्मीद है कि वे इसे खोएंगे नहीं। यही तो एकमात्र लोकतांत्रिक औजार है अपने प्रतिनिधि चुनने का, मनपसंद सरकार बनाने का। पहाड़ की खूबी यह है कि वह सारे मौसम छाती पर झेलता है। सबकी सुनता है, सबको देखता है और करता अपने मन की है। सीटें केवल चार हैं और दावे- प्रतिदावे जवान और मुखर होते जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में दोनों बड़ी पार्टियों के पास अपने-अपने तर्क हैं... हालात हैं... समीकरण हैं। प्रचार के रंग में दोनों दल एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। भाजपा संतुष्ट है कि प्रधानमंत्री मंडी और सोलन में क्रमश: सेपू बड़ी और मशरूम का स्वाद बता गए हैं जबकि अमित शाह चंबा, बिलासपुर और नाहन में अपनी बात कह गए हैं। बातें पुरानी हैं लेकिन राजनीतिक दलों के लिए उन्हें दोहराना जरूरी भी है, मजबूरी भी। प्रतिपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस के नेताओं पर पुराने आरोप दोहराए और कहा कि उनके लिए रक्षा सौदे एटीएम की तरह रहे। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने ऊना में हुंकार भरी थी और प्रधानमंत्री पर काफी तीखे बयान दिए। वीरभद्र का सम्मान मंच पर किया तो भाषण में आडवाणी का जिक्र भी ले आए। मंगलवार को अवश्य प्रियंका गांधी का सुंदरनगर दौरा रद होना कांग्रेस और कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय कर गया। मौसम का हवाला भी था, भीड़ भी उतनी नहीं थी... हालांकि उसी दिन प्रियंका ने पंजाब के बठिंडा और पठानकोट में रोड शो पूरे किए।
सीटवार चलें तो शिमला में गतिविधियां भरपूर रहीं। कांग्रेस के कर्नल धनीराम शांडिल और भाजपा के सुरेश कश्यप के बीच मुकाबले में काडर के अलावा फ्लोटिंग वोट तय करेगा कि किसे लोकसभा में भेजना है।
मंडी में भाजपा के रामस्वरूप के सामने कांग्रेस के युवा आश्रय शर्मा हैं। सच यह है कि यहां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बरक्स पंडित सुखराम हैं। रामस्वरूप को पसंद किया जाना या न किया जाना इस दलील के साथ दब रहा है कि लोकसभा का चुनाव है, दिल्ली की तरफ देखो। उधर, सुखराम का परिवारवाद भी मुद्दा हो सकता है, लेकिन आश्रय शर्मा तल्ख नहीं हैं। यहां मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा का विशेष प्रश्न है। कांगड़ा में भाजपा के किशन कपूर के सामने कांग्रेस के पवन काजल हैं। यहां सिद्धांतवादी दो नेता अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए लगातार सक्रिय रहे हैं। किशन के लिए शांता और काजल के लिए वीरभद्र सिंह।
किशन के गद्दी वोट या काजल के ओबीसी वोट के अलावा यहां शांता और वीरभद्र सिंह के होने से मुकाबला दिलचस्प होगा। लोकसभा के लिए किशन और काजल दोनों ही नए चेहरे हैं, इसलिए जो एंटी इन्कंबेंसी का डर था, वह शांता के साथ ही मुकाबले से बाहर हो गया।
किशन कपूर सीधी बात करते हैं, लेकिन पवन काजल प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए भी उनके नाम से पहले आदरणीय को उपसर्ग बनाना नहीं भूलते। हमीरपुर सीट पर भाजपा के अनुराग ठाकुर चौथी बार जीतने का जोर लगाए हुए हैं, कांग्रेस के राम लाल ठाकुर तीन बार की हार का हिसाब बराबर करने की मंशा से उतरे हैं। यहां कांग्रेस को कांग्रेस से डर था और भाजपा को भाजपा से। अमित शाह के इस एलान ने भाजपा में अवश्य कुछ सिहरन पैदा की है, ‘अनुराग को जिताओ, इन्हें बड़ा नेता बनाने का दायित्व मेरा।’ यहां भाजपा से कांग्रेस में गए सुरेश चंदेल भी भाजपा के खिलाफ सक्रिय रहे हैं। मजे की बात यह है कि उन्हें शांता कुमार यह कहते हुए वापस बुला रहे हैं कि सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते और अभी तो दोपहर ही हुई है।
इस सबमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की शब्दावली और अंदाज में चंबा रैली के बाद काफी परिवर्तन आया है। चंबा में अमित शाह आए थे। अब जयराम ठाकुर काफी तल्ख टिप्पणियां तल्ख अंदाज में कर रहे हैं। आलाकमान को एक-एक सीट का हिसाब जो देना है। अंतत: 19 को ही यह भी दर्ज होगा कि वीरभद्र सिंह के वे बयान भाजपा के पक्ष में कितने जाएंगे, जो उन्होंने कांग्रेस की मदद करते हुए दिए थे।
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