जनता का हित नहीं निजी स्वार्थ अब हो गया सर्वोपरि
वर्षों से शिमला में रह रहे
जीवेत शरद : शतम संवाद सूत्र, शिमला : शिमला में रह रहे 87 वर्षीय सिरमौर के रामसा आज की राजनीति से संतुष्ट नहीं हैं। बीते दिनों को याद कर वह उत्साहित हो उठते हैं। रामसा बताते हैं कि वह अपने पहले मतदान को लेकर बहुत खुश थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह स्वतंत्र भारत के नागरिक के तौर पर मतदान कर सरकार के निर्माण में सहभागिता निभाएंगे। उन्हें उस समय भारत के नागरिक होने का जो गर्व महसूस हुआ था वह आज भी उनको उत्साहित करता है। आज भी वह उसी उत्साह से मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करते हैं और आगे भी मतदान करते रहने के लिए तैयार हैं।
आज परिस्थितियों में आए बदलाव से रामसा खुश तो हैं पर संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि रामसा का कहना है वर्तमान के राजनीतिक दल अपनी महत्वकांक्षा को ही ध्यान में रखते हैं और जनता के हित को उन्होंने पीछे धकेल दिया है। बहुत कम ऐसे नेता हैं जो जनता से जुड़े हुए हैं और उनके कल्याण के लिए कार्य करते हैं। आज सभी दल अधिकतर एक दूसरे को नीचा दिखाने में व्यस्त हैं और देश के कल्याण व विकास की बातें अधर में ही लटक जाती हैं। देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने की जगह जहां पक्ष-विपक्ष को मिलकर कदम उठाने चाहिए वहां ये एक दूसरे की खींचतान में ही व्यस्त हैं।
वह कहते हैं कि गरीब के हालातों पर कुछ असर नहीं पड़ा है। उनके लिए सरकारें घोषणाएं तो करती हैं पर उन तक यह घोषणाएं पूरी तरह से नहीं पहुंच पाती हैं, फिर भी उन्हें सरकार से उम्मीदें हैं कि अच्छे दिन आएंगे। लगातार चल रहे प्रयास फलीभूत होंगे। रामसा लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग योग्य, परिश्रमी, दृढ निश्चयी व मजबूत इरादों वाले प्रत्याशी को सत्ता में लाने का आग्रह करते हैं। लोग अपने निजी स्वार्थ को भूल देश व जन कल्याण के लिए मतदान करें।
(दैनिक जागरण आपकी लंबी उम्र की कामना करता है)