अब न तो अदालत में गवाह मुकर सकेंगे और न ही पुलिस पर डराने-धमकाने के आरोप लगेंगे
अब अदालत में गवाहों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी की जाएगी जिससे गवाह अपने बयान से पलट नहीं पाएंगे और पुलिस पर भी डराने धमकाने के आराेप नहीं लगेंगे।
शिमला, रमेश सिंगटा। अदालत में अपने बयान से अब न तो गवाह मुकर सकेंगे और न ही पुलिस पर डराने-धमकाने के आरोप लगेंगे। हर अपराध में गवाहों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी भी की जाएगी। इसके पीछे मंशा यही है कि सजा की दर बढ़े और खाकी की छवि में भी सुधार हो। अकसर पुलिस पर गवाहों को डराने-धमकाने के आरोप लगते हैं। ऐसी छवि का कई गवाह भी लाभ उठाते हैं। जहां पुलिस को कोई संदेह रहे तो वहां गवाह के बयान सीधे कोर्ट में दर्ज करवाएगी।
अपराध होने पर पुलिस कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाहों के बयान दर्ज करती है। यही बयान अगर कोर्ट में दर्ज करवाएं तो वहां 161 की जगह सीआरपीसी की 164 धारा लागू होती है। पुलिस के माध्यम से दर्ज बयानों से मुकरने की कानूनी बा ध्यता नहीं होती है। पुलिस पर लोग यही आरोप लगाते हैं कि वह थर्ड डिग्री टॉर्चर से गवाही देने के लिए मजबूर करती है। कई मामलों में ये आरोप सही भी साबित हुए हैं।
कोटखाई प्रकरण में क्या?
शिमला जिले के कोटखाई में दुष्कर्म के बाद छात्रा की हत्या मामले में पुलिस के हाथों जो भी आरोपित पकड़े गए उनकी भी वीडियोग्राफी की गई थी। लेकिन पुलिस ने कथित आरोपितों के साथ थर्ड डिग्री मैथड अपनाया। अपराध का झूठा कबूलनामा करवाया। पुलिस के डर से कइयों ने कबूल भी किया। सूरज नामक युवक ने कबूल करने से इन्कार किया तो उसे कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। सीबीआइ जांच में पुलिस के कारनामों का खुलासा हुआ। इसके बाद सूरज केस में हिमाचल पुलिस के तत्कालीन आइजी जेडएच जैदी, एसपी डीडब्ल्यू नेगी, डीएसपी मनोज जोशी समेत नौ पुलिस कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई थी। इनमें से तीन अधिकारी कोर्ट से जमानत पर हैं। सीआरपीसी के तहत धारा 161 के बयान की पुलिस अब वीडियोग्राफी करेगी। बयान कागजों पर तो दर्ज होगा ही वीडियो भी बनाई जाएगी।
पुलिस पारदर्शिता बरतेगी। गवाहों पर किसी प्रकार का दबा व नहीं डालेगी। पुलिस को प्रोफेशनल संस्था बनाने की कोशिशें हो रही हैं। इस संबंध में कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
-एसआर मरडी, डीजीपी हिमाचल प्रदेश