अब यूएई और यूरोप में बिकेगा बकरी का दूध
हिमाचल प्रदेश का ऊन एकत्रीकरण एवं विपणन संघ विदेशों में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में
हिमाचल प्रदेश का ऊन एकत्रीकरण एवं विपणन संघ विदेशों में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। अब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और यूरोप को शीघ्र ही बकरी का दूध व भेड़-बकरी का मांस निर्यात होने लगेगा। इतना ही नहीं भेड़-बकरियों के गोबर से बनी खाद भी वहां खरीदा बिकेगा। मात्र औपचारिक तौर पर एमओयू होना शेष रह गया है। प्रदेश के जनजातीय लाहुल-स्पीति, किन्नौर जिलों के अलावा छोटा भंगाल-बड़ा भंगाल, डोडरा क्वार, रामपुर का ऊपरी भाग, चुहार घाटी, जंजैहली व करसोग क्षेत्रों में बीस हजार से अधिक घुमंतू भेड़ पालक हैं। समय बदलने के साथ-साथ भेड़-पालकों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राज्य सरकार की ओर से भेड़ पालन से पलायन को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे सभी विषयों को लेकर राज्य वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने दैनिक जागरण के संवाददाता प्रकाश भारद्वाज से बातचीत की। प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख अंश: भेड़ पालन चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है?
यह सही है कि भेड़ पालकों के सामने चुनौतियां खड़ी होती जा रही हैं। इनका समाधान जरूरी है, तभी पीढि़यों से भेड़ पालन करने वाले सुरक्षित और समृद्ध होंगे। भेड़ पालन बीस हजार से अधिक घुमंतू परिवारों के लिए जीविकोपार्जन का जरिया है। भेड़-बकरी पालन में नई नस्लें तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्टॉक मिशन व कृषक बकरी पालन योजना के लिए गरीबी से नीचे और ऊपर रहने वाले पालकों के लिए कर्ज की सरल सुविधा दी गई है।
विदेशों में दूध, मांस और गोबर की मांग है। सरकार उस दिशा में कोई कदम उठा रही?
-सार्थक सवाल है, कुछ समय में यूएई को बकरी का दूध, भेड़-बकरी का मांस निर्यात करने की योजना पर काम चल रहा है। अमेरिकी और यूरोपीय देशों की कंपनियों से भी बात चल रही है। इसी दिशा में पालमपुर में दस से पंद्रह दिसंबर को वूल फेडरेशन के क्षेत्रीय कार्यालय में ग्लोबल जैविक ग्राम कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें यूएई, अमेरिका सहित यूरोप के कई देशों से कंपनियों के पचास सदस्य शामिल होने के लिए आ रहे हैं। इतनी ही संख्या में दक्षिण भारत से भी सदस्य शामिल होंगे।
घुमंतू भेड़ पालकों यानी गद्दियों पर चोर गिरोह का संकट है.. समस्या कैसे दूर करेंगे?
-हर साल जब भेड़ पालक पहाड़ों से नीचे उतरते हैं और ऊपर जाते हैं तो चोर गिरोह वाहनों में आकर भेड़-बकरियां चुरा लेते हैं। मंडी जिला के कुम्मी गांव के चोर हर साल घुमंतुओं की भेड़े चुरा लेते हैं। 2017 से 2019 के दौरान ही चोरी की 14 एफआइआर दर्ज हुई थी। समस्या यह है कि गद्दियों के डेरे में केवल दो-तीन लोग मौजूद होते हैं और चोर एक दर्जन से अधिक संख्या में।
भेड़ पालकों को हथियार रखने की व्यवस्था क्यों नहीं है?
-लगातार चोरी की घटनाएं बढ़ने के कारण मैंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष मामला रखा है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि घुमंतू भेड़ पालकों को लाइसेंसशुदा हथियार रखने का प्रावधान किया जाएगा, ताकि वह अपनी और भेड़-बकरियों की लुटेरों से सुरक्षा कर सकें। वन विभाग की ओर से गद्दियों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं?
भेड़ पालकों के लिए चिकित्सा किट देने की व्यवस्था की जा रही है। सरकार के विशेष दिशा निर्देशों के तहत वन विभाग के देहरा, नुरपुर, हमीरपुर, बिलासपुर, नाहन, परवाणू मंडलों में डीएफओ किटें उपलब्ध करवाएंगे। इसमें चिकित्सा सामग्री, तिरपाल, सोलर टार्च रहेगी। पिछले कार्यकाल के दौरान मैंने भेड़ पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भेड़ पालकों के द्वार कार्यक्रम शुरू किया था, मगर कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद यह कार्यक्रम बंद कर दिया था, लेकिन मौजूदा सरकार में उस कार्यक्रम को दोबारा शुरू किया गया है।