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हिमाचल को मिले 200 डॉक्टर

हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए राहत वाली खबर है। प्रदेश को दो सौ नए डॉक्टर मिले हैं। वीरवार को सरकार ने इनकी नियुक्तियों से जुड़े आदेश जारी किए। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव अमरजीत सिंह ने अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार नए डॉक्टरों को पंद्रह दिनों के अंदर नई जगह पर ज्वाइनिग देनी होगी। अगर इस निर्धारत समय में ज्वाइविग नहीं दी तो सरकार कड़ी कारवाई करेगी। उस सूरत में एक साल तक संबंधित डॉक्टर वॉक इन इंटरव्यू नहीं दे पाएंगे। उन्हें इससे बाहर (डिबार) किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 08:14 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 08:14 PM (IST)
हिमाचल को मिले 200 डॉक्टर
हिमाचल को मिले 200 डॉक्टर

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए राहत वाली खबर है। प्रदेश को 200 नए डॉक्टर मिले हैं। वीरवार को सरकार ने इनकी नियुक्तियों से जुड़े आदेश जारी किए। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव अमरजीत सिंह ने अधिसूचना जारी की। नए डॉक्टरों को 15 दिन के अंदर नई जगह ज्वाइन करना होगा।

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डॉक्टरों ने यदि निर्धारत समय में ज्वाइनिंग नहीं दी तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। ऐसी स्थिति में संबंधित डॉक्टर एक साल तक वॉक इन इंटरव्यू नहीं दे पाएंगे। उन्हें इससे बाहर (डिबार) किया जाएगा। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा और सोलन के निजी मेडिकल कॉलेज एमएमयू से पासआउट एमबीबीएस डॉक्टरों को अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और सिविल अस्पताल (सीएच) में सेवाएं देनी होंगी। ये नियुक्तियां अनुबंध आधार पर की गई हैं। एक साल के बाद अनुबंध रिव्यू होगा। सरकार की नीति के अनुसार तीन साल के बाद डॉक्टर नियमित हो सकेंगे। इन्हें अभी 26250 रुपये वेतन मिलेगा। इसके अलावा भत्ते अलग मिलेंगे। ये भत्ते आठ अप्रैल 2013 और पिछले वर्ष 28 जनवरी को जारी अधिसूचना के मुताबिक मिलेंगे। इनकी अदायगी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से होगी।

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डॉक्टरों का काडर 2200 के पार

हिमाचल में डॉक्टरों का काडर अब 2200 के पार हो गया है। प्रदेश में 200 डॉक्टरों की नियुक्ति होने के बाद करीब 300 पद रिक्त हैं। प्रदेश सरकार का दावा है कि दो वर्ष में बड़े पैमाने पर डॉक्टरों के पद भरे हैं। इस दिशा में प्रयास जारी रहेंगे। डॉक्टरों के अभाव में मरीजों के हित प्रभावित होते हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी कमी होती थी। सरकार का दावा है कि वह लोगों को उनके घर द्वार तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के प्रति गंभीर है।


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