Move to Jagran APP

आबोहवा हो रही खराब मिट्टी-पानी की भी यही कहानी

देवभूमि की आबोहवा के साथ यहां का जल भी दूषित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 07:58 PM (IST)
आबोहवा हो रही खराब 
मिट्टी-पानी की भी यही कहानी
आबोहवा हो रही खराब मिट्टी-पानी की भी यही कहानी

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस विशेष दमा के साथ कैंसर रोगियों की संख्या में भी हा रहा इजाफा

loksabha election banner

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला

देवभूमि हिमाचल की आबोहवा के साथ जल भी दूषित हो रहा है। इस प्रदूषण को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्यस्तरीय कमेटी बनाई है जो नदियों के पानी को शुद्ध करने के साथ हवा को शुद्ध करने में जुटी है। सड़कों पर लगातार बढ़ता गाड़ियों का भार, बढ़ते उद्योग और अंधाधुंध निर्माण ने वातावरण व जल में प्रदूषण का स्तर बढ़ा दिया है। प्रदेश में कुछ साल से रिस्पायरेबल सस्पेंडड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) निर्धारित मानकों से बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसके खतरनाक परिणाम सामने आने की बात कही है।

प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी हवा की गुणवत्ता लगातार जांचता है। इसमें आरएसपीएम का स्तर निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक पाया गया है। वायु प्रदूषण को तीन आधार पर मापा जाता है। इसमें आरएसपीएम, सोक्स (सल्फर डाइआक्साइड) और नोक्स (आक्साइड ऑफ नाइट्रोजन) शामिल हैं। प्रदेश में केवल आरएसपीएम में ही वृद्धि दर्ज की गई है। ------------

14 शहरों की हवा प्रदूषित

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में प्रदेश के करीब 14 शहरों की हवा प्रदूषित पाई गई है। हालांकि यह स्तर अन्य बड़े शहरों की अपेक्षा कम है। आरएसपीएम का स्तर माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर में है।

शहर,आरएसपीएम का स्तर

शिमला, 63

परवाणू,74

बद्दी,110

नालागढ़,105

कालाअंब,125

सुंदरनगर,80

पानी की जांच के 35 पैरामीटर

पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए वैसे तो 35 पैरामीटर हैं, लेकिन इनका साल में एक ही बार इस्तेमाल किया जाता है।आम तौर पर पानी की शुद्धता व गुणवत्ता की जांच के लिए पांच से दस पैरामीटर का प्रयोग किया जाता है।

-सीओडी यानी केमिकल आक्सीजन डिमांड। पानी में कितना केमिकल है।

-बीओडी यानी बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड। पानी में आक्सीजन की क्या मात्रा है।

-पीएच। पानी में एसिड है या फिर बेसिक है।

-कॉलीफार्म। बैक्टीरिया की जांच जैसे सीवेज का वायरस आदि।

---------

जल प्रदूषण के कारण

-मानव मल का नदियों व नहरों में विसर्जन।

-सफाई व सीवर का उचित प्रबंध न होना।

-विभिन्न औद्योगिक इकाइयों का कचरे व गंदे पानी का नदी-नालों में बहाना।

-कृषि कार्यो में उपयोग होने वाले जहरीले रसायनों व खाद का पानी में घुलना।

-नदियों में कूड़े-कचरे और घरेलू सामग्री का विसर्जन। --------

जल प्रदूषण के प्रभाव

-मानव, पशु व पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा, टाइफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां फैलना।

-विभिन्न जीव तथा वनस्पतिक प्रजातियों को नुकसान

-पीने के पानी की कमी होना। ---------

भूमि प्रदूषण के कारण

-कृषि में उर्वरकों, रसायनों व कीटनाशकों का अधिक प्रयोग।

-औद्योगिक इकाइयों, खानों व खादानों से निकले ठोस कचरे को खुले में फैंकना।

-भवनों, सड़क निर्माण में ठोस कचरा।

-कागज व चीनी मिलों से निकलने वाले पदार्थ।

-प्लास्टिक पैक वस्तुओं का अधिक उपयोग।

-घरों, होटलों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अपशिष्ट। -----

प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इससे बचने के लिए पौधारोपण के साथ प्रदूषण के कारकों को दूर किया जा रहा है। सफाई अभियान के साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जैव विविधता कमेटियों का गठन कर पंचायत और गांव स्तर पर जागरूकता लाई जा रही है।

-आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी। -------

प्रदेश में सांस व दमे के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ओपीडी में हर रोज सात से 10 मरीज दमा रोग से पीड़ित आ रहे हैं। हालांकि इसके विभिन्न कारण हैं, लेकिन वायु प्रदूषण भी इसमें प्रमुख है। इस कारण दमा रोगियों की समस्याएं और बढ़ जाती हैं।

-मलाया सरकार, विभागाध्यक्ष पल्मोनेरी मेडिसन, आइजीएमसी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.