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हिमाचल में बदलेंगे गायों के नाम

हिमाचल प्रदेश में अब गायों के नाम बदले जाएंगे। सरकार ने इसके लिए पहल कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:19 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 09:19 PM (IST)
हिमाचल में बदलेंगे गायों के नाम
हिमाचल में बदलेंगे गायों के नाम

राज्य ब्यूरो, शिमला : देशभर में शहरों के नाम बदले जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में शहरों के नाम बदलने की चर्चा के बीच गायों का नाम बदलने की मुहिम शुरू होने जा रही है। भाजपा सरकार गायों के नाम बदलने जा रही है। छोटे कद की पहाड़ी गाय का नाम गौरी और बर्फीले क्षेत्रों में पाई जाने वाली चुरु गाय का नाम हिमचुरु रखा जाएगा।

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पशुपालन विभाग ने पहाड़ी गाय व चुरु गाय के संरक्षण और नाम बदलने के लिए करोड़ों का प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया है जिसे केंद्र को जल्द भेजा जाएगा। दोनों गायों की क्रॉस ब्रीडिंग को समाप्त कर मूल संरक्षण करने के साथ इनकी दूध देने की क्षमता को विकसित किया जाएगा। सड़कों पर बेसहारा घूमती गायों में छोटी पहाड़ी गायों की संख्या ज्यादा है। पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मंजूर करवाया है। लाहुल स्पीति व किन्नौर में होती है चुरु गाय

चुरु गाय लाहुल स्पीति व किन्नौर में पाई जाती है। इसके दूध के बराबर फैट (वसा) अन्य किसी गाय, यहां तक कि भैंस के दूध में भी नहीं होता है। इसके दूध में 17 फीसद वसा होती है। वहीं, फुल क्रीम दूध में छह से आठ फीसद तक वसा होती है। चुरु गाय एक दिन में करीब डेढ़ किलो दूध देती है। पहाड़ी गाय व चुरु गाय का नाम बदल कर इनका संरक्षण व संवर्धन किया जाएगा। बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश में सीमन सॉर्टिंग बैंक की स्थापना की कोशिश है।

-वीरेंद्र कंवर, पशुपालन मंत्री

गोसेवा आयोग के लिए कानून बनाने की तैयारी

हिमाचल में गोसेवा आयोग को कानूनी दर्जा मिलेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की बजट घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए पशुपालन विभाग ने आयोग के गठन के लिए कानून बनाने की तैयारी कर ली है। कानून बनने के बाद गोवंश को बेसहारा छोड़ना मुश्किल होगा।

पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेद्र कंवर जिनके पास पशुपालन विभाग का कार्यभार भी है, ने कहा कि आयोग गठन के लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने की तैयारी है। प्रदेश में करीब 30 हजार बेसहारा पशु है। इनमें से करीब आठ हजार पशुओं को एनजीओ तथा लोगों के सहयोग से चलाई जा रही गोशालाओं में पनाह मिली है। अन्य गोवंश फिलहाल सड़कों या खेतों में है। प्रदेश में बेसहारा पशुमुक्त पंचायतों को दस-दस लाख रुपये पुरस्कार के अलावा इनके मालिक की पहचान के लिए टैटू लगाने की योजना है। सरकार ने गो अभ्यारण्य स्थल खोलने की शुरुआत कर दी है। प्रदेश में करीब दस गो अभ्यारण्य स्थल खोलने का प्रयास है।


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