आजीविका भवन में दुकानों के आवंटन पर हंगामा
राजधानी शिमला के आजीविका भवन में तहबाजारियों को बसाने के मामले पर नगर निगम की मासिक बैठक में खूब हंगामा हुआ।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के आजीविका भवन में तहबाजारियों को बसाने के मामले पर नगर निगम की मासिक बैठक में खूब हंगामा हुआ। नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्षदों ने इस मामले को उठाया। पार्षदों का कहना था कि इस भवन को तैयार किए साल हो चुका है, लेकिन इसका उद्घाटन नहीं किया जा रहा है। यह तहबाजारियों के साथ धोखा है।
भाजपा समर्थित पार्षद संजीव ठाकुर ने इस मसले को सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि आजीविका भवन का निर्माण तहबाजारियों को बसाने के लिए किया गया है। निगम अब केवल 146 को ही दुकानें आवंटित कर रहा है तथा अन्य बची दुकानों को ओपन आक्शन से देने की बात कह रहा है। उन्होंने कहा कि यह गलत है। जब इसका निर्माण हुआ था तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी। तहजाबारियों को ये दुकानें देनी चाहिएं ताकि जो लोग बाहर बैठकर आजीविका कमा रहे हैं उन्हें दुकानें मिल सकें।
वहीं कांग्रेस समर्थित पार्षद इंद्रजीत सिंह ने कहा कि तहबाजारियों को ही आजीविका भवन में दुकानें मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजीकृत तहबाजारी को ही दुकाने दें और यह सुनिश्चित हो कि वही इसमें बैठे। इसके अलावा कई सदस्यों ने इस मसले को उठाया। बैठक में इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका। नगर निगम की अगली बैठक में दोबारा इसे चर्चा के लिए रखा जाएगा। अगली बैठक में ही इसके आवंटन पर निर्णय होगा। पार्षदों ने कहा कि तहबाजारी केवल तिब्बती मार्केट और लोअर बाजार में ही नहीं हैं, बल्कि हर वार्ड में तहबाजारी हैं। ऐसे में स्ट्रीट वैंडिग जोन हर वार्ड में बनने चाहिए ताकि बाजारों में अतिक्रमण न हो। आजीविका भवन में तहबाजारियों को ही बसाया जाएगा : महापौर
नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल ने कहा कि आजीविका भवन में तहबाजारियों को ही बसाया जाएगा। यह भवन उन्हीं के लिए बनाया गया है। पार्षदों ने कहा कि आजीविका भवन में एटीएम स्थापित की जाएं। इसके अलावा चंडीगढ़ की तर्ज पर इसके टाप फ्लोर पर नगर निगम का कार्यालय बनाया जाए। अपने स्तर कबाड़ नहीं बेच पाएगा जल निगम
शिमला जल प्रबंधन निगम द्वारा बिना अनुमति के पुराने मीटर, पाइपों सहित अन्य सामान को कबाड़ में बेचने का मामला एक बार फिर नगर निगम की बैठक में उठा। पार्षद दिवाकर ने इस मामले को मासिक बैठक में उठाया। उन्होंने कहा कि शहर के लोगों को पानी के भारी-भरकम बिल आ रहे हैं। हर बार बैठक में यह मामला उठता है लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि कंपनी ने लाखों के सामान को कबाड़ में बेच दिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि शिमला जल प्रबंधन निगम से पहले अनुमति लेनी होगी उसके बाद ही सामान को बेचा जा सकता है। बिजली मीटर बदलने पर बवाल
राजधानी शिमला में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का मामला भी उठा। पार्षदों ने कहा कि पांच साल में यह तीसरा मौका है जब बिजली के मीटर बदले जा रहे हैं। पुराने मीटर कहां जाते हैं इसका कोई पता नहीं है। पार्षद दिवाकर देव और राकेश चौहान ने यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि नए मीटर से उपभोक्ताओं को भारी-भरकम बिल आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब पुराने मीटर ठीक हैं तो इन्हें बदला क्यों जा रहा है।
कसुम्पटी में वर्षाशालिका और परिमहल में पार्किग को मंजूरी
नगर निगम की बैठक में शहर के विकास कार्यो के लिए 72 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को शुरू करने की मंजूरी दी गई। इसके तहत कुसुम्पटी में वर्षाशालिका बनाई जाएगी। इसके अलावा परिमहल चौक पर 38 लाख 20 हजार रुपये से पार्किंग बनाई जाएगी। एसटीपी बायोगैस प्लांट की प्रति महीने 50 से 60 हजार रुपये की लागत से मरम्मत करवाने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी गई। विकासनगर वार्ड के तहत विजयनगर से आंजी लोअर विकासनगर तक रोगी वाहन लायक सड़क निर्माण करने पर 33 लाख 18 हजार 700 रुपये खर्च होंगे। सुलभ इंटरनेशनल को सौंपा सार्वजनिक शौचालय का जिम्मा
राजधानी के सार्वजनिक शौचालयों के संचालन को लेकर नगर निगम ने सुलभ इंटरनेशनल कंपनी के साथ करार किया है। इसके अनुबंध को आगे बढ़ाया गया है। इसमें तर्क दिया है कि केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत शहर के सार्वजनिक शौचालयों की दशा को सुधारा जा सके। राजधानी के 31 शौचालयों का जिम्मा कंपनी को सौंपा है।