ऐसे कैसे जल संकट से निपटेगा बोर्ड
राजधानी में पेयजल के बेहतर प्रबंध के दावों पर सवाल उठने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी में पेयजल के बेहतर प्रबंध के दावों पर सवाल उठने लगे हैं। पानी की गुणवत्ता को लेकर जल प्रबंधन बोर्ड पर नगर निगम ही प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है। इस संबंध में बुधवार को नगर निगम शिमला और शिमला जल प्रबंधन निगम की शिमला में बैठक हुई।
सूत्रों के अनुसार महापौर कुसुम सदरेट ने जल प्रबंधन बोर्ड के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। इस दौरान जल प्रबंधन बोर्ड को शहर में लगातार फेल हो रहे पानी के सैंपल को लेकर जवाब मांगा गया। जल प्रबंधन बोर्ड ने इस दौरान शहर में सप्लाई किए जा रहे पानी के शुद्ध होने के दावा किया। महापौर ने कहा कि यदि पानी शुद्ध है तो पानी के सैंपल फेल क्यों हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके असल कारण तलाशे जाएं। आइजीएमसी की लैब में फेल हो रहे सैंपल के कारण का पता निगम करें। इसका स्थायी हल निकाला जाए। इसके अलावा महापौर ने गर्मियों में पानी की सही व्यवस्था और शुद्ध पानी उपलब्ध करवाने के जल प्रबंधन बोर्ड को आदेश दिए। प्लान बी तैयार करे बोर्ड
बैठक में आदेश दिए गए हैं कि यदि गर्मियों में पानी की दिक्कत शहर में होती है तो जल प्रबंधन बोर्ड इसके लिए प्लान बी तैयार करे। प्लान बी की रिपोर्ट तैयार कर निगम नगर निगम को सौंपें। महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि गर्मियों में पानी के दूषित होने की ज्यादा आशंका रहती है। उन्होंने जल प्रबंधन बोर्ड से कहा कि वह पानी के मुख्य स्रोतों की नियमित निगरानी करें। खामियां पाए जाने पर उसे समय रहते दूर किया जाना चाहिए।
पिछले साल झेला था संकट
शिमला ने पिछले साल गर्मियों ने भयंकर जल संकट झेला था। तब नगर निगम की पूरे देश में किरकिरी हुई थी। इससे पर्यटन क्षेत्र पर भी प्रतिकूल असर पड़ा था। अबकी बार इसकी पुनरावृत्ति न हो, इस कारण सरकार ने अलग से बोर्ड बनाया, लेकिन इस बोर्ड की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ गए हैं।