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Lockdown: थमा पहिया घूमेगा मगर संभलकर, पैसेंजर ट्रांसपोर्ट का मॉडल तैयार करने की बड़ी चुनौती

कोरोना संकट के बीच सरकार सीमित सार्वजनिक परिवहन आरंभ करने का खाका खींच रही है। मॉडल क्या रहेगा इस पर सरकार ने मंथन शुरू कर दिया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 10:20 AM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 10:20 AM (IST)
Lockdown: थमा पहिया घूमेगा मगर संभलकर, पैसेंजर ट्रांसपोर्ट का मॉडल तैयार करने की बड़ी चुनौती
Lockdown: थमा पहिया घूमेगा मगर संभलकर, पैसेंजर ट्रांसपोर्ट का मॉडल तैयार करने की बड़ी चुनौती

शिमला, रमेश सिंगटा। कोरोना संकट के बीच सरकार सीमित सार्वजनिक परिवहन आरंभ करने का खाका खींच रही है। मॉडल क्या रहेगा, इस पर सरकार ने मंथन शुरू कर दिया है। यह तय है कि पहिया संभलकर घूमेगा। पूरी तस्वीर तीन मई के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। शुरुआती कसरत चल रही है, लेकिन परिवहन का पहिया पूरी तरह से घूम पाएगा, इसके कम आसार है। मॉडल तैयार करने की बड़ी चुनौती है। इसके लिए प्रदेश केंद्र सरकार की ओर निगाहें लगाए हुए हैं।

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इतना तय है कि लॉकडाउन के बाद भी बसों में भी शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए सिटिंग पैट्रन के लिए नए नियम बनाए जाएंगे। हालांकि कम सवारियों से भी कोरोना फैलने की चुनौती उतनी ही रहेगी। बसें तो सैनिटाइज हो जाएगी, पर सवारियां और कंडक्टर का क्या होगा, इसके लिए तंत्र विकसित करने की जरूरत रहेगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम ने प्रबंध निदेशक ने सरकारी बसों की आवाजाही शुरू करने के संबंध में अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान को पत्र लिखा है। इसमें उनसे गाइडलाइन जारी करने की मांग की है। इसके बाद ही निगम अगली योजना तैयार करेगा।

6300 बसें तैयार, आदेश का इंतजार

परिवहन विभाग का दावा है कि सड़कों पर दौड़ने के लिए 6300 सरकारी और निजी बसें पूरी तरह से तैयार हैं। बस सरकार के अगले आदेशों का इंतजार है। इसके लिए परिवहन विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। परिवहन विभाग के निदेशक जेएम पठानिया के अनुसार आदेश मिलने के चार- पांच घंटे के अंदर ये बसें सड़कों पर दौड़ सकेंगी। चालकों, परिचालकों के लिए 50 हजार मास्क, सैनिटाइजर की पुख्ता व्यवस्था कर ली गई है।

सौ करोड़ रुपये का घाटा

प्रदेश में एचआरटीसी की कुल 3200 बसें हैं, जबकि रूट की संख्या चार हजार हैं। इनमें से डेढ़ सौ इंटरस्टेट रूट हैं। इनपर साढ़े तीन सौ बसें चलती हैं। इनदिनों सारा ऑपरेशन बंद है। इससे निगम को रोजाना दो से ढाई करोड़ का नुकसान हो रहा है। महीने में औसतन कमाई 70 से 80 करोड़ होती है। लॉकडाउन से करीब सौ करोड़ का घाटा ङोलना पड़ा है।

निजी बसों को टैक्स से छूट

निजी बसों को स्टेट रोड टैक्स से छूट मिली है, जबकि टोकन टैक्स को सरकार ने स्थगित किया। प्रदेश में करीब 3200 निजी बसें हैं। स्टेट रोड़ टैक्स प्रतिमाह तीन से चार करोड़ बनता है, जबकि टोकन टैक्स पांच सौ रुपये प्रति सीट प्रति वर्ष के हिसाब से लिया जाता है।

परिवहन विभाग को 400 करोड़ का नुकसान

लॉकडाउन के कारण प्रदेश के परिवहन विभाग को एक माह में ही 400 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा है। नुकसान के आकलन संबंधी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। इनमें निजी बसों के चालकों, परिचालकों, टैक्सी ऑपरेटरों, टैंपों आपॅरेटरों के वेजिज लॉस 3 करोड़ 28 लाख रूपये प्रतिदिन बताया गया है। गुड्स ट्रांसपोर्ट से संबंधित 50 फीसद ट्रकों की आवाजाही हो रही है, पर 50 फीसद यह भी बाधित है।

प्रदेश सरकार करे घाटे की भरपाई : कमल

निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल के मुताबिक वे कम सवारियां बैठा कर बसें नहीं चलाएंगे। इससे घाटा होगा। बेशक सड़कों पर खड़ी रहें। दूसरा विकल्प यह है कि सरकार घाटे की भरपाई के लिए कुछ पैकेज दें।


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