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कोटखाई मामला: आपसे जांच नहीं होती तो क्यों न दूसरी एजेंसी को सौंप दें केस

जांच में देरी पर सीबीआइ निदेशक को तलब करने को कहा गया, लेकिन सीबीआइ के वकील की दलील के बाद मामले को मॉनिटर करने का हल्फनामा दायर करने को कहा।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 10:03 AM (IST)Updated: Thu, 21 Dec 2017 12:47 PM (IST)
कोटखाई मामला: आपसे जांच नहीं होती तो क्यों न दूसरी एजेंसी को सौंप दें केस
कोटखाई मामला: आपसे जांच नहीं होती तो क्यों न दूसरी एजेंसी को सौंप दें केस

शिमला, राज्य ब्यूरो। कोटखाई में दुष्कर्म के बाद छात्रा की हत्या मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआइ को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि अगर आपसे जांच नहीं होती है तो क्यों न मामले को दूसरी एजेंसी को सौंप दिया जाए। कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को स्वयं इस मामले को मॉनिटर करने व शपथ पत्र दायर करने काआदेश दिया।

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गुडिय़ा मामले बुधवार को उच्च न्यायालय के मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश संजय करोल व न्यायधीश संदीप शर्मा की डबल बैंच को सीबीआइ ने स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए अतिरिक्त समय की मांग की। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि लिखकर क्यों नहीं देते कि कितना समय चाहिए। यदि सीबीआइ से मामला सुलझ नहीं रहा तो क्या इसे किसी अन्य जांच एजेंसी को सौंपा जाए। हिमाचल के लाखों लोगों की भावना इस मामले से जुड़ी है।

 

सीबीआइ को देश के अन्य मामले महत्वपूर्ण होंगे, लेकिन हिमाचल के लिए यह मामला महत्वपूर्ण है। अब मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी। मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश संजय करोल ने कहा कि जब इतना ज्यादा समय लग रहा है तो क्यों न सीबीआइ निदेशक को बुलाया जाए, जिससे वह स्वयं इस मामले को देखें। न्यायालय ने मामले में जो भी सुराग या तथ्य किसी भी व्यक्ति के पास उपलब्ध हैं उन्हें सीबीआइ या न्यायालय को देने को कहा।

स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के लिए बुधवार तक का समय दिया गया था, लेकिन आज भी सीबीआइ पूरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पाई। जांच में देरी पर सीबीआइ निदेशक को तलब करने को कहा गया, लेकिन सीबीआइ के वकील की दलील के बाद मामले को मॉनिटर करने का हल्फनामा दायर करने को कहा। सुनवाई के दौरान मदद सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष तनुजा थापटा भी हाजिर हुई और सीबीआइ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। 

अब भी सीबीआइ के हाथ खाली 

गुडिय़ा मामले में सीबीआइ के हाथ अब भी खाली है। हालांकि सीबीआइ ने कोर्ट को बताया कि नौ विभिन्न एंगल के आधार जांच की जा रही है। सीबीआइ का कहना था कि ब्लाइंड रेप एंड मर्डर का मामला है इसलिए समय लग रहा है। प्रशासनिक दिक्कतें भी हैं, मामले मे कई नए साक्ष्य सामने आए हैं। अतिरिक्त स्टाफ को लगाने को भी कहा। सैंपल रिपोर्ट आने में समय लग रहा है, जिसकी वजह से देरी हो रही है। 

सुराग कोर्ट को देंगे सीबीआइ को नहीं: थापटा

उच्च न्यायालय में सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत में मदद सेवा ट्रस्ट की अध्यक्ष तनुजा थापटा ने कहा कि उनके पास कुछ तथ्य और उन्हें कुछ शक है। इन सुराग और तथ्यों को वह सीबीआइ को नहीं देंगी पर प्रदेश उच्च न्यायालय को बंद लिफाफे में दिए जाएंगे। सीबीआइ केवल ईनाम घोषित करने तक सीमित है और कुछ नहीं कर रही है। अभी तक 150 से अधिक ब्लड सैंपल ले चुकी है, जिनमें अधिकतर की रिपोर्ट

आ गई है लेकिन कोई सुराग नहीं है।

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