जानिये आखिर धनतेरस पर चांदी खरीदना ही क्यों माना जाता है सबसे शुभ
धनतेरस का पर्व पांच नवंबर को मनाया जा रहा है, इस दिन वैद्य धनवंतरी का पूजन भी किया जाता है।
शिमला, जेएनएन। धन व आरोग्य देने वाला पर्व धनतेरस इस वर्ष पांच नवंबर को मनाया जा रहा है। त्रयोदशी तिथि चार नवंबर की रात एक बजकर 24 मिनट पर आरंभ होगी, जबकि पांच नवंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। इस बार धनतेरस का पर्व हस्त नक्षत्र में आ रहा है, जिसका स्वामी चंद्र है अत: धन धान्य देने वाला यह पर्व रहेगा। धनतेरस पर्व पर सुबह 7:30 बजे से नौ बजे तक राहुकाल रहेगा। इसके बाद पूरा दिन खरीदारी के लिए शुभ है, लेकिन नौ बजे से पहले कोई भी शुभ कार्य न करें क्योंकि राहुकाल में शुभ कार्य वर्जित है।
इस दौरान विश्वकुंभ योग बन रहा है। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी धनत्रयोदशी के रूप मे मनाई जाती है। यह दीपावली के आने की शुभ सूचना है। धनतेरस के दिन वैद्य धनवंतरी के पूजन का विधान शास्त्रों में बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन धनवंतरी वैद्य समुद्र से अमृत लेकर आए थे, इसलिए धनतेरस को धनवंतरी जयंती भी कहते है। धनवंतरी को चिकित्सकों का देवता भी कहा जाता है, इसलिए धनतेरस का दिन चिकित्सकों के लिए विशेष महत्व रखता है।
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने का विशेष महत्व है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चंद्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। चांदी के बर्तन खरीदना शुभ इस दिन घर के पुराने बर्तनों के बदले नए बर्तन खरीदे जाते हैं। वहीं चांदी के बर्तन खरीदना अत्याधिक शुभ माना जाता है व वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है। यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर में देवता के द्वार पर रखा जाता है। रात को महिलाएं दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं। जल, रोली, चावल, गुड और फूल आदि नैवेद्य सहित दीपक जलाकर यम का पूजन करती है।
शिमला के आचार्य हेमंत शर्मा के अनुसार पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से होता है। इस दिन यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्ष पर्यांत नहीं रहती है।