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आइजीएमसी के चिकित्‍सकों की सर्दियों की छुट्टियां रद, कोरोना मरीजों के बढ़ती संख्या को लेकर निर्णय

Himachal Coronavirus Update आइजीएमसी डॉक्टरों की सर्दियों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने यह फैसला लिया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों और रेजिडेंट डॉक्टरों को हर साल जनवरी और फरवरी माह में एक एक महीने की छुट्टियां होती हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 02:59 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 02:59 PM (IST)
आइजीएमसी के चिकित्‍सकों की सर्दियों की छुट्टियां रद, कोरोना मरीजों के बढ़ती संख्या को लेकर निर्णय
आइजीएमसी डॉक्टरों की सर्दियों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं।

शिमला, जागरण संवाददाता। आइजीएमसी डॉक्टरों की सर्दियों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने यह फैसला लिया है। अस्पताल में सेवाएं देने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों और रेजिडेंट डॉक्टरों को हर साल जनवरी और फरवरी माह में एक एक महीने की छुट्टियां होती हैं। इस साल अस्पताल में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए छुट्टियां नहीं दी जाएंगी। अस्पताल में दिन प्रतिदिन कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहीं स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है। रोजाना पांच से 10 स्वास्थ्य कर्मी पॉजिटिव आ रहे हैं। इस स्थिति में मरीजों की देखभाल और इलाज के लिए बाकी स्टाफ का मौजूद रहना बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि पॉजिटिव स्टाफ के संपर्क में आए कर्मियों को क्वारंटाइन किया जाता है। अस्पताल प्रधानाचार्य डॉक्टर रजनीश पठानिया ने बताया कि इस बार डॉक्टरों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। मरीजों की सुविधा के लिए यह फैसला लिया गया है।

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मरीजों को मिलेगी राहत

सर्दियों के दिनों में हर साल करीब 200 से 250 डॉक्टर तीन महीनों तक बारी बारी छुट्टी जाते थे। ऐसे में ओपीडी में आने वाले और ऑपरेशन करवाने वाले मरीजों की परेशानियां बढ़ जाती थी। मरीजों को जानकारी न होने के कारण डॉक्टर अस्पताल में नहीं मिलते थे। वहीं कई मरीजों के ऑपरेशन में देरी होती थी। ऐसे में मरीजों का मर्ज दोगुना हो जाता था। प्रदेश भर के विभिन्न स्थानों से बीमारियों के ईलाज के लिए मरीज यहां इलाज करवाने पहुंचते हैं। दूर दराज इलाकों से हजारों रुपये टैैक्सियों का किराया देकर अस्पताल पहुंचे मरीजों को जब विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिलते तो उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ जाता था। लेकिन इस बार सर्दियों में डॉक्टरों की छुट्टियां रद होने के बाद मरीजों को ऐसी परेशानियां पेश नहीं आएंगी।

वार्ड बढऩे से बढ़ी जिम्मेदारियां

आइजीएमसी में पिछले कई सालों से डॉक्टरों सहित अन्य पैरामेडिकल के दर्जनों पद खाली हैं। वहीं अस्पताल में रूटीन ईलाज के साथ कोरोना का काम बढ़ गया है। नए वार्ड तैयार किए जा रहे हैं। जाहिर है कि इन वार्डों में काम करने के लिए स्टाफ की अधिक जरूरत होगी। अस्पताल के ई ब्लॉक के अलावा कोरोना के मरीजों के लिए न्यू ओपीडी ब्लॉक में 40 बेड और दो प्री फेब्रिकेटिड स्ट्रक्चर तैयार किए जा रहे हैं जहां 57 मरीजों को रखने की व्यवस्था होगी।


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