लंबी लाइन में लगने के बाद नहीं मिल रहीं सस्ती दवाएं
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (आइजीएमसी) में मरीजों को बेह
जागरण संवाददाता, शिमला : इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (आइजीएमसी) में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। आइजीएमसी में जैनेरिक स्टोर में मरीजों की सुविधा के लिए काउंटर तो 10 हैं, लेकिन आधे से अधिक खाली पड़े हैं।
दस काउंटरों के जैनेरिक स्टोर में मात्र चार काउंटर पर कर्मी होते हैं। लोगों को घंटों तक एक काउंटर में पर्ची पर नंबर लगवाने के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ता है उसके बाद दूसरे काउंटर पर दवा लेने के लिए फिर से लाइन में खड़े होना पड़ता है। इस तरह घंटों तक लाइनों में ही खड़ा रहना पड़ता है। इसके अलावा जो दवा डॉक्टर लिखते हैं उनमें से आधी ही यहां मिलती हैं। काउंटरों पर अधिक भीड़ होने की वजह से मरीज व तीमारदार निजी दुकानों से महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। जिस मरीज को दो माह की दवा लिखी होती है उन्हें भी एक ही माह की दवा दी जाती है।
आइजीएमसी के डॉ. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है। वहीं, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनकराज ने कहा कि जैनेरिक स्टोर का प्रबंधन हमारे अधीन नहीं है। प्रिंसिपल ऑफिस में ही इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जैरेरिक स्टोर में स्टाफ की कमी दूर की जा रही है। हालांकि उन्होंने बताया कि जैनेरिक स्टोर में कुछ निश्चित दवाएं ही मिलती हैं और वह मरीजों को उपलब्ध हो रही हैं।
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मैं तत्तापानी से पिता का इलाज करवाने आया हूं। जैनेरिक स्टोर पर सभी दवाएं नहीं मिली हैं। बाहर से ही दवा लेनी पड़ेगी।
-कमल।
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डॉक्टर ऐसी दवा क्यों लिखते हैं जो जैनेरिक स्टोर में उपलब्ध नहीं है। पत्नी के साथ अस्पताल परिसर में रह रहा हूं। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि बाहर से दवाएं खरीद पाऊं।
-आत्माराम, कुपवी।
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मैं दिल की मरीज हूं। यहां सस्ती दवाएं मिल जाएं तो बहुत सुविधा होगी, लेकिन यहां सभी दवाएं नहीं मिलती, अधिकतर बाहर से ही खरीदनी पड़ती हैं।
-संतोष।