हिमाचल को दो माह में मिल जाएगा मानवाधिकार अध्यक्ष
हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग डेढ़ दशक से काम नहीं कर रहा है। कारण है कि सरकार ने आयोग में किसी भी पद पर नियुक्तियां नहीं की हैं। हालत ये है कि फरवरी 2017 से राज्य में लोकायुक्त भी नहीं है। उच्च न्यायालय की फटकार पड़ने के बाद सरकार ने हरकम में आते हुए मानवाधिकार आयोग में नियुक्तियों को लेकर हरकत शुरू कर दी है। सरकार ने राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए आवेदन मांगे हैं। इसी तरह से आयोग के दो सदस्यों
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश में मानवाधिकार आयोग डेढ़ दशक से काम नहीं कर रहा है। आयोग में किसी भी पद पर नियुक्तियां न होना इसकी वजह रही है। हालत यह है कि फरवरी 2017 से राज्य में लोकायुक्त भी नहीं है। उच्च न्यायालय की फटकार के बाद हरकत में आई सरकार ने मानवाधिकार आयोग के लिए आवेदन मांगे हैं। सरकार ने राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए आवेदन मांगे हैं। इसी तरह से आयोग के दो सदस्यों के पदों के लिए भी आवेदन करने की प्रक्रिया को अधिसूचित किया है। मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी की ओर से जारी इस प्रक्रिया के तहत कहा गया है कि 31 दिसंबर तक इच्छुक व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। उसके बाद चयन कमेटी प्राप्त आवेदनों के आधार पर अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करेगी। ऐसे में राज्य के भीतर दो माह के भीतर मानवाधिकार आयोग कार्य शुरू कर देगा। अध्यक्ष पद के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति किसी राज्य का मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो। आयोग के एक सदस्य पद के लिए जिला सत्र न्यायाधीश रहा होना अनिवार्य है। दूसरे सदस्य पद के लिए आवेदनकर्ता को मानवाधिकार मामलों का अनुभव होना चाहिए।
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उच्च न्यायालय ने लगाई थी फटकार सात नवंबर को हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश में मानवाधिकार आयोग व लोकयुक्त का गठन न करने पर राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक टिप्पणी थी। न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि स्टेट ह्यूंमन राइट कमिशन वर्ष 2005 से कार्य नहीं कर रहा है। पिछले 15 साल में तीन बार सरकारें बदल चुकी मगर लोगों के अधिकारों का हनन होने की स्थिति में उनको तुरंत न्याय दिलवाने के लिए कोई उपयुक्त फोरम नहीं है।