होटलों से निकलने वाले गीले कूड़े से खुद बनानी होगी खाद
देवभूमि के सभी होटलों को अब गीले कूड़े के वैज्ञानिक तरीके से निपटान के लिए खाद बनाने की व्यवस्था युद करनी होगी। जो होटल इसकी व्यवस्था नहीं करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और चलान कर जुर्माना लगाया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल के सभी होटलों से निकलने वाले गीले कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निपटान करने के लिए इससे खाद बनाने की व्यवस्था होटल मालिकों को करनी होगी। जो होटल मालिक इसकी व्यवस्था नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। चालान कर उन्हें जुर्माना लगाया जाएगा।
कूड़े को यहां वहां फेंकने, जलाने और दबाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस संबंध में शहरी विकास विभाग ने निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रदेश शहरी विकास विभाग के सचिव सी पाल रासू ने सचिवालय में पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के माध्यम से शहरी विकास विभाग से संबंधित 600 शिकायतें आई हैं। इनमें से 400 शिकायतें कूड़े से संबंधित हैं। प्रदेश को हरा भरा और स्वच्छ बनाने के लिए शहरी विकास विभाग ने मास्टर प्लान तैयार किया है। प्रदेश के 56 शहरी निकायों को स्वच्छ बनाने का मास्टर प्लान तैयार हुआ है। इसके लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के साथ स्वच्छता एप चलाई जाएगी। घरों से निपटान तक गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग पहुंचाने के लिए पाठशालाएं लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। इस संबंध में निरीक्षण को कड़ा किया जाएगा। कूड़े का होगा अलग-अलग निपटान
शहरी विकास विभाग के निदेशक राम कुमार गौतम ने बताया कि घर से लेकर कूड़े के निपटान तक गीला, सूखा और खतरनाक कूड़ा अलग-अलग उठाकर उसका अलग-अलग निपटान करवाया जाएगा। लाखों रुपये शहरी निकायों को जारी करने के बाद भी अभी तक अलग-अलग कूड़ा नहीं पहुंच रहा है। इसके लिए शहरी विकास विभाग ने नगर निगम और शहरी निकायों को बेहतर कार्य करने और निरीक्षण के निर्देश जारी किए हैं। जब तक घर में गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग नहीं किया जाता, गाड़ी तक उसे अलग-अलग पहुंचाने के बाद निपटान के लिए अलग-अलग नहीं पहुंचाया जाता है तब तक लाखों रुपये के उपकरण स्थापित करने का कोई लाभ नहीं है। कूड़ा अब आय का साधन
कूड़े कचरे को वैज्ञानिक तरीके से एकत्रित करने के साथ उसका वैज्ञानिक तरीके से निपटान आय का साधन बन गया है। सरकार अब लोगों से प्लास्टिक 75 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद रही है। यह तभी होगा जब तीन तरह का कूड़ा अलग-अलग उठेगा। इसमें रसोई से निकलने वाला कूड़ा, बचा हुआ खाद्य पदार्थ, सूखा कूड़ा प्लास्टिक आदि जबकि खतरानाक कूड़ा जैसे बैटरी सीएफएल बल्ब, सैल सीढ़ी आदि शामिल हैं। वैज्ञानिक तरीके से निपटान की प्रक्रिया शुरू होने के बाद कूड़ा आय का स्त्रोत बन गया है। बद्दी में प्लास्टिक से बॉयोफ्यूल बनाया जाएगा। प्रदेश के सभी 56 शहरी निकायों में कूड़े से खाद तैयार की जाएगी।