समृद्धि के रंग भरेगा सेब
मौसम की मेहरबानी से सेब प्रदेश की समृद्धि के रंग भरेगा। इससे हिमाचल के खजाने में बढ़ोत्तरी होगी। कुदरत के करिश्मे से अबकी बार सेब के लिए जरूरी चीलिग आवर्स पूरे होने के आसार हैं। ऐसा हुआ तो फिर बागवान बाग-बाग हो जाएंगे। इस फल से करीब चार लाख बागवानों की रोजी- रोटी जुड़ी हुई है। राज्य की अर्थव्यवस्था में चार हजार करोड़ का अहम योगदान है। जहां तक चीलिग आवर्स का संबंध है तो यह सेब की सेहत के लिए बेहद आवश्वयक है। ठीक वैसे ही जैसे इंसान के शरीर के लिए प्राण। इसका सीधा ताल्लुक बर्फबारी और बारिश से होता है। इस बार हिमाचल में बीते दिसंबर महीने में हिमपात हुआ था। बारिश भी अच्छी हुई।
रमेश सिंगटा, शिमला
मौसम की मेहरबानी से सेब इस बार हिमाचल की समृद्धि के रंग भरेगा। इससे प्रदेश के खजाने में बढ़ोतरी होगी। इस बार हुई बर्फबारी के कारण सेब के लिए जरूरी चिलिग आवर्स पूरे होने के आसार हैं। ऐसा हुआ तो बागवान बाग-बाग हो जाएंगे। हिमाचल में सेब से करीब चार लाख बागवान परिवारों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है।
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सेब का करीब चार हजार करोड़ रुपये का अहम योगदान है। चिलिग आवर्स सेब की गुणवत्ता के लिए आवश्वयक हैं। इनका सीधा ताल्लुक बर्फबारी व बारिश से होता है। हिमाचल में पिछले वर्ष दिसंबर में बर्फबारी हुई व बारिश भी अच्छी हुई थी। इससे सेब की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर आगे भी मौसम ऐसे ही मेहरबान रहा तो फ्लावरिग भी अच्छी होगी। इससे फल की सेटिग भी उतनी ही बढि़या हो पाएगी। क्या हैं चिलिग आवर्स
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार सेब की बढि़या पैदावार के लिए कड़ाके की सर्दी बेहद जरूरी है। दिसंबर से लेकर मार्च तक के चार महीने में औसतन 1200 चिलिग आवर्स यानी 1200 सर्द घंटे पूरे हों तो सेब के पौधों से पैदावार बेहतर होती है। सेब के पौधे में फल लगने के लिए सात डिग्री सेल्सियस से कम तापमान बेहद जरूरी है। पौधे नवंबर व दिसंबर में सुप्त अवस्था में होते हैं। उन्हें इस अवस्था से बाहर आने के लिए सात डिग्री सेल्सियस का तापमान औसतन 1200 घंटे तक चाहिए। ये 1200 घंटे चार माह में पूरे हो जाने चाहिए। यदि चार माह में 1200 चिलिग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब के पौधों में फल की सेटिग बहुत अच्छी होती है। इससे उत्पादन बंपर होता है। जब चिलिग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब की फ्लावरिग बेहतर होगी और फल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। यदि मौसम दगा दे जाए और चिलिग आवर्स पूरे न हों तो पौधों में कहीं फूल अधिक आ जाते हैं और कहीं कम। इससे फलों की सेटिग प्रभावित हो जाती है। हिमाचल में सेब उत्पादन
वर्ष,उत्पादन
2014-15,31259997
2015-16,38857300
2016-17,23406663
2017-18,22328675
2018-19,18430143
2019-20,34500000
(उत्पादन पेटी में, एक पेटी में औसतन 20 से 25 किलोग्राम सेब होता है।)
बर्फबारी और बारिश के कारण चिलिग आवर्स पूरे होने की उम्मीद हैं। एक सीजन में 800 से 1600 घंटे चिलिग आवर्स की जरूरत होती है। सेब की अलग-अलग किस्मों के लिए चिलिंग आवर्स अलग-अलग होते हैं। सेब की रॉयल किस्म के लिए सबसे अधिक चिलिग आवर्स चाहिए। मौसम ऐसे ही मेहरबान हुआ तो पैदावार अच्छी होगी।
डॉ. एमएम शर्मा, बागवानी निदेशक
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सेब के लिए बर्फ संजीवनी से कम नहीं है। बर्फ सर्वोत्तम प्राकृतिक खाद का काम करती है। सेब के लिए अभी बर्फ और बारिश और चाहिए तभी जमीन में नमी रहेगी। यह नमी पौधों के लिए मार्च में खुराक का कार्य करेगी।
गोविद चितरांटा, बागवान