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200 करोड़ से चकाचक होंगी हिमाचल की सड़कें

बजट में मरम्मत कार्य के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। मरम्मत पर दो 200 करोड़ तो खर्च होंगे ही रूटीन फंड से भी पैसा मिलेगा।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 13 Apr 2018 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2018 11:37 AM (IST)
200 करोड़ से चकाचक होंगी हिमाचल की सड़कें
200 करोड़ से चकाचक होंगी हिमाचल की सड़कें

शिमला, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार ने सड़कों की टारिंग का बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार  खस्ता हालत सड़कों की सूरत संवारेगी। मौजूदा वित्त वर्ष में 2500 किलोमीटर सड़कों की टारिंग की जाएगी। लोक निर्माण विभाग मुख्यमंत्री के पास है, इस कारण इस पर सीधे सीएम कार्यालय की निगरानी रहेगी। 2018-19 में अढ़ाई हजार किलोमीटर सड़कों की टारिंग होगी। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले यह 60 फीसद अधिक है। पहली बार मरम्मत कार्य के लिए अलग से निधि बनेगी। इसके गठन की कवायद आरंभ हो गई है। बजट में मरम्मत कार्य के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। मरम्मत पर दो 200 करोड़ तो खर्च होंगे ही रूटीन फंड से भी पैसा मिलेगा।

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विभागीय आंकड़ों के अनुसार हर साल सड़कों की मरम्मत पर 300 करोड़ खर्च होता है। अबकी बार यह 500 करोड़ के पार हो जाएगा। पहले मरम्मत के लिए इतना फंड नहीं होता था। केवल रूटीन फंड से ही यह कार्य निपटाया जाता था। ग्रामीण सड़कों, जिला मेजर रोड के लिए राज्य सरकार मरम्मत पर खर्च करती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाओं के तहत भी मरम्मत होती है। शुरू के पांच साल में इसका खर्च इसी योजना से वहन किया जाता है। बाद में यह कार्य भी राज्य सरकार को करना पड़ता है।

गुणवत्ता जांचने के लिए अलग दस्ता 

सड़कों की गुणवत्ता जांचने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के तहत अलग स्वतंत्र गुणवत्ता परीक्षण स्कवाड बनेगा। यह प्रदेश भर में औचक निरीक्षण करेगा। इसकी गोपनीय रिपोर्ट भी सौंपेगा। इसके गठन के प्रयास आरंभ हो गए हैं। बजट योजना बैठक में सड़कों की दयनीय हालात सुधारने को लेकर इस बारे में विधायकों ने सुझाव दिए थे। उधर, मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि सड़कों के रखरखाव के लिए सरकार अलग निधि गठित करेगी।

719 ब्लैक स्पॉट कर रहे हादसों का इंतजार

प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करने के मकसद से जीवीके 108 एंबूलेंस सेवा ने ताजा व तथ्य परक सर्वेक्षण पूरा किया है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि अब भी हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में 719 ब्लैक स्पॉट ऐसे हैं जो हादसों के इंतजार में हैं। कांगड़ा के नूरपुर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद अब हिमाचल प्रदेश सरकार को जीवीके 108 के इस ताजा सर्वेक्षण पर गौर करना चाहिए। यह सर्वेक्षण एक्सपर्ट टीम ने किया है जिसमें घायलों के स्पॉट सहित बयान भी दर्ज किए गए हैं। ऐसे भी स्पॉट अलग से दर्शाए गए हैं जहां हर सप्ताह दो से तीन दुर्घटनाएं होती हैं। बावजूद इसके लोक निर्माण विभाग सुस्ती में है। सर्वेक्षण में बताया गया है किप्रदेश में 719 ब्लैक स्पॉट में से 257 स्थल ऐसे हैं जहां कई बार हादसे हो चुके हैं। जीवीके के अनुसार प्रदेश में 31 ऐसे भी स्थल हैं जहां दिन में भी दो-तीन दुर्घटनाएं हो जाती हैं।

विभिन्न विभागों को जाएगी रिपोर्ट

जीवीके ईएमआरआई 108 मार्केटिंग प्रभारी अभिषेक भंगालिया ने बताया कि दुर्घटनाओं पर आधारित एक ताजा सर्वे से ज्ञात हुआ है कि प्रदेश में 719 ब्लैक स्पॉट ऐसे हैं जिनकी दशा सुधारने की सख्त आवश्यकता है। सर्वे रिपोर्ट की कॉपी लोक निर्माण विभाग, डीसी, एसपी, चीफ सचिव सरकार, एचआरटीसी समेत अन्य कई संबंधित विभागों को भेज रहे हैं।

जिला कांगड़ा में सर्वाधिक दुर्घटनाएं

प्रदेश में अब तक सात वर्षों में जीवीके 108 ने 58029 सड़क दुर्घटनाओं को संभाला है। इनमें सर्वाधिक मामले जिला कांगड़ा में 10604, ऊना में 7902, सोलन 7375, शिमला 7066, मंडी 6077, सिरमौर 5743, बिलासपुर 4023, हमीरपुर 4023, कुल्लू 2185, चंबा 2022, किन्नौर 340 और लाहुल स्पीति में 263 सड़क दुर्घटनाओं को रिपोर्ट किया गया है।


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