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हिमाचल पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, आ सकती हैं ये आपदायें

15वें वित्तायोग के पहली बार किए राज्यस्तरीय आपदा जोखिम आकलन से पता चला है कि हिमाचल में कई तरह की प्राकृतिक आपदायें आ सकती हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 07:52 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 07:52 AM (IST)
हिमाचल पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा,  आ सकती हैं ये आपदायें
हिमाचल पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, आ सकती हैं ये आपदायें

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। भले ही समूचा हिमाचल प्रदेश भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन पांच में आता है, लेकिन यहां अब बादल फटने और सूखे का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। यह पता 15वें वित्तायोग के पहली बार किए राज्यस्तरीय आपदा जोखिम आकलन में चला है।

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देश के सभी राज्यों में किस तरह के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, इसका उल्लेख भी इस आकलन में किया गया है। आपदा जोखिम इंडेक्स में हिमाचल को बाढ़ के पांच, सूखे के पांच, भूकंप के 15, अन्य के 10 व गरीबी रेखा के 10 अंक दिए हैं। इस लिहाज से सौ में से हिमाचल को 45 अंक दिए गए हैं। 

सूखा और बाढ़ 

हिमाचल प्रदेश में सूखे की बात की जाए तो ऊना जिले का चिंतपूर्णी क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित है। इसके साथ कांगड़ा, बिलासपुर, मंडी के सरकाघाट और धर्मपुर क्षेत्र आते हैं। यही नहीं सूखे की स्थिति लगातार बढ़ रही है। हर साल गर्मियों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। बरसात आने पर बाढ़ भी रौद्र रूप दिखाती है। पहाड़ों में भले ही बाढ़ से नुकसान के मामले नजर नहीं आते हैं, लेकिन बादल फटने की घटनाएं कहर बरपाती हैं।

बादल फटने की घटनाएं 

कुछ वर्ष के दौरान बादल फटने की घटनाएं विनाश कर रही हैं। कोटरूपी में बादल फटने से समूचा पहाड़ ही दरक गया था। इस प्राकृतिक आपदा में बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। वहीं सुन्नी में भी बादल फटने से पहाड़ से आया मलबा वाहन में बैठे लोगों की जान ले गया था।

लगातार गिर रहा भूजलस्तर

भारत के तटीय क्षेत्रों में सुनामी कहर बरपाती है तो हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप का बड़ा खतरा रहता है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और सूखा भी पैर पसारने लगा है। इसका प्रमाण है कि भूमिगत जलस्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। जल शक्ति विभाग की ओर से पेयजल के लिए स्थापित किए हैंडपंप भी हर साल बड़ी संख्या में सूखते जा रहे हैं। 

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