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कर्ज में डूबे हिमाचल ने मांगी मदद

हिमाचल प्रदेश 48 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। प्रदेश ने वित्तायोग से मदद और बढाने की गुहार लगाई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 10:14 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 10:14 PM (IST)
कर्ज में डूबे हिमाचल ने मांगी मदद
कर्ज में डूबे हिमाचल ने मांगी मदद

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश 48 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। प्रदेश केंद्र से मिलने वाली वित्तीय मदद पर निर्भर करता है। किसी समय जलविद्युत को कामधेनु समझा जाता था। लेकिन अब जलविद्युत क्षेत्र में निवेश करने के लिए कोई प्रदेश में आने को तैयार नहीं है।

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प्रदेश सरकार को कर्मचारियों के वेतन व पेंशन का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। बजट का अधिकांश हिस्सा वेतन व पेंशन में चला जाता है। बरसात से हर साल होने वाला नुकसान राज्य के लिए वहन करना मुश्किल हो चुका है। ऐसे में प्रदेश के तीन राजनीतिक दलों ने 15वें वित्तायोग के समक्ष एक स्वर में प्रदेश हित को उठाया। सत्तारुढ़ भाजपा 40 हजार करोड़ रुपये के राजस्व डाटा अनुदान को यथावत रखने की पक्षधर है। पार्टी कर्ज का बोझ उतारने के लिए वित्तीय सहायता चाहती है। कांग्रेस ने भी भाजपा के सुर में सुर मिलाया है। कांग्रेस ने राजस्व अनुदान को यथावत जारी रखने की वकालत की। प्रदेश में एक विधायक वाली माकपा ने भी हिमाचल को उदार वित्तीय सहायता देने का मामला उठाया। माकपा ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सिंचाई व्यवस्था के लिए तीन हजार करोड़ रुपये देने का आग्रह किया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में कांग्रेस ने वित्तायोग के सामने प्रस्ताव रखा कि केंद्र सरकार व वित्तायोग हितों की रखवाली करे। मुकेश के साथ कर्नल धनीराम शांडिल, रामलाल ठाकुर व हर्षवर्धन चौहान थे। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती के नेतृत्व में प्रदेश उपाध्यक्ष व मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा, प्रदेश महामंत्री चंद्रमोहन ठाकुर व प्रदेश प्रवक्ता रणधीर शर्मा शामिल थे। माकपा विधायक राकेश सिंघा के साथ डॉ. कुलदीप सिंह तंवर, डॉ. ओंकार शाद व संजय चौहान थे। कांग्रेस ने ये उठाई मांगें

-वित्तायोग राज्य पर 48 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को एकमुश्त ग्रांट देकर खत्म करे।

-केंद्र से घोषित 70 राष्ट्रीय राजमार्गो के लिए 65 हजार करोड़ रुपये दे वित्तायोग।

-प्रदेश की आय व व्यय का सही मूल्यांकन हो।

-हिमाचल को पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर औद्योगिक पैकेज मिले।

-प्रदेश को सभी परियोजनाओं में 90:10 के अनुपात में धन आवंटित हो।

-दो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों में 50:50 के अनुपात में फंडिग को 90:10 किया जाए।

-विधानसभा की प्राचीन धरोहर के मद्देनजर इसके विस्तार के लिए 100 करोड़ रुपये की मदद मिले।

-प्रदेश में बरसात से नुकसान की भरपाई के लिए तीन हजार करोड़ की राशि को बढ़ाकर पांच हजार करोड़ किया जाए।

भाजपा ने किया यह आग्रह

-राज्य के आय के साधन नाममात्र हैं। 48 हजार करोड़ के कर्ज का ब्याज चुकाना मुश्किल है। राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए हर क्षेत्र में मदद जारी रखी जाए। विशेष आर्थिक पैकेज मिले।

-प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदा से नुकसान तीन हजार करोड़ तक पहुंचता है। हर साल 200 करोड़ रुपये मिलते हैं। यह राशि बढ़ाई जाए।

-बीबीएमबी से बकाया पांच हजार करोड़ का भुगतान पंजाब, हरियाणा व राजस्थान से करवाया जाए।

-हवाई अड्डों का निर्माण व रेल विस्तार केंद्रीय मदद के बिना संभव नहीं है। पर्यटन विकास के मद्देनजर सड़क सुविधा के अलावा रेलवे व हवाई सेवा बढ़ाई जाए।

-वन संपदा के संरक्षण से राज्य को कोई लाभ नहीं हुआ है। इसका मूल्य मिलना चाहिए।

-विधानसभा सचिवालय में विधायकों व कर्मचारियों के लिए आवासों की कमी है। मंत्रियों व अधिकारियों को बैठने के लिए उपयुक्त कमरे नहीं हैं। आगंतुकों के बैठने की सुविधा नहीं है। इसके लिए पर्याप्त बजट प्रावधान हो।

-सड़क, पानी व बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अधिक राशि दी जाए।

माकपा ने भी बुलंद की आवाज

-केंद्र सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है। इसके लिए राज्य में सिंचाई सुविधाएं जुटानी पड़ेंगी। तीन हजार करोड़ रुपये सिंचाई व्यवस्था स्थापित करने के लिए स्वीकृत किए जाएं।

-वनों का संरक्षण करने के लिए केंद्र सरकार राज्य को 20 हजार करोड़ का वित्तीय अनुदान प्रदान करे।

-बीबीएमबी से बकाया तीन हजार करोड़ रुपये का भुगतान हो।

-वित्तायोग राज्य के हित देखने के लिए थ्री डी का पैमाना अपनाए।

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शहरी व ग्रामीण निकाय भी

चाहते हैं वित्तीय शक्ति

राज्य ब्यूरो, शिमला : ग्रामीण क्षेत्रों यानी पंचायती राज से ताल्लुक रखने वाले जनप्रतिनिधियों ने वित्तायोग से तीनों स्तर पर ग्रांट का प्रावधान करने का मामला उठाया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल जुब्बल-कोटखाई पंचायत समिति की अध्यक्ष प्रजब्बल बुस्टा ने कहा कि पंचायत को सीधे वित्तीय प्रावधान है जबकि जिला परिषद व पंचायत समिति को ऐसा नहीं है।

उन्होंने कहा कि शहरी व ग्रामीण निकाय भी वित्तीय शक्ति चाहते हैं। इससे पहले 13वें वित्तायोग ने जिला परिषद को 50 प्रतिशत, पंचायत समिति को 30 प्रतिशत व पंचायत को 20 प्रतिशत बजट प्रावधान किया था। लेकिन 14वें वित्तायोग ने पूरा बजट पंचायत को दे दिया था। वहीं, शहरी निकायों में नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट ने वित्तीय प्रावधान को अधिक करने का मामला उठाया। उनके साथ प्रदेश के विभिन्न भागों से आए शहरी निकायों के जनप्रतिनिधियों ने भी इसकी वकालत की। तीन दिवसीय हिमाचल दौरे पर पहुंची वित्तायोग की टीम

तीन दिवसीय हिमाचल दौरे पर 15वें वित्तायोग की टीम मंगलवार सुबह शिमला पहुंची। वित्तायोग के अध्यक्ष एनके सिंह के साथ सदस्य शक्तिकांत दास, डॉ. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिड़ी व डॉ. रमेश चंद आए हैं। आज सरकार अपना पक्ष रखेगी

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सभी मंत्री बुधवार को 15वें वित्तायोग के समक्ष प्रदेश का पक्ष रखेंगे। सरकार राजस्व घाटा अनुदान को यथावत रखने के साथ रेल विस्तार में केंद्रीय हिस्सेदारी को अधिकाधिक करने की मांग उठाएगी। राज्य पर कर्ज के बोझ को खत्म करने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज देने का मामला भी उठाया जाएगा।


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