कितने समय में पूरी होगी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच : कोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 250 करोड़ रुपये से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े मामले में धीमी गति से सीबीआइ की जांच पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने सीबीआइ को शपथपत्र दायर कर जांच पूरी करने में लगने वाली समयसीमा बताने के आदेश दिए।
शिमला, विधि संवाददाता। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 250 करोड़ रुपये से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े मामले में धीमी गति से सीबीआइ की जांच पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने सीबीआइ को शपथपत्र दायर कर जांच पूरी करने में लगने वाली समयसीमा बताने के आदेश दिए। इससे पहले कोर्ट ने सीबीआइ को जांच में तेजी लाकर इसे पूरा करने और सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश जारी किया था।
सीबीआइ ने इस मामले में आठवीं स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की। इस रिपोर्ट के अनुसार घोटाले में सीबीआइ की अब तक की जांच में 1176 शिक्षण संस्थानों की संलिप्तता का पता चला है। 266 निजी संस्थानों में से 28 को छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त पाया गया है। सीबीआइ की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 28 में से 15 संस्थानों की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और सात आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। शेष 13 संस्थानों के खिलाफ जांच अभी जारी है।
मुख्य न्यायाधीश अमजद ए सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रार्थी श्याम लाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जांच तीन साल से चल रही है, परंतु अब तक भी पूरी नहीं हुई। मामले पर सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
क्या है मामला
हिमाचल में 2013-14 से लेकर 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ रुपये और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के लिए दिए गए। आरोप है कि इनमें से कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी राशि हड़प ली। जनजातीय क्षेत्र के एक छात्र की शिकायत पर घोटाले से पर्दा उठा। शिक्षा विभाग की जांच के मुताबिक 2013-14 से 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में हुई है। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के विद्यार्थियों की जगह दूसरों को गलत तरीके से बांटा गया।