बरागटा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई टली
प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शिमला जिला के कोटखाई से विधायक व पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई 29 नवंबर के लिए टल गई है।
विधि संवाददाता, शिमला : राज्य सरकार द्वारा कोटखाई के विधायक एवं पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई प्रदेश हाईकोर्ट में 29 नवंबर के लिए टल गई है। प्रार्थी टेक चंद और अन्य द्वारा दायर याचिका में सचेतक के वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम 2018 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है।
याचिका में 25 सितंबर 2018 को जारी अधिसूचना को रद करने की भी मांग की गई है जिसके तहत नरेंद्र बरागटा को चीफ व्हिप नियुक्त किया गया है। जो वेतन व अन्य लाभ नरेंद्र बरागटा को आज तक प्रदान किए गए हैं, उन्हें उनसे वसूलने की मांग भी की गई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसद से अधिक नहीं हो सकती है।
राज्य सरकार ने सैलरी एलाउंसेस एंड अदर बेनिफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट 2018 बनाया है। इसके तहत मुख्य सचेतक व उप मुख्य सचेतक की नियुक्ति करने के संबंध में प्रावधान बनाया गया है। इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान है। मंत्रियों के लिए निर्धारित की गई संख्या सीमा पूरी करने के बाद यह पद निर्धारित संख्या से ज्यादा हो गया है। सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर है। हालांकि उन्हें मंत्री नहीं कहा जाता है मगर वे सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जो एक मंत्री को मिलती हैं। प्रार्थियों ने सचेतक की नियुक्ति को भारतीय संविधान के प्रावधानों के विपरीत कहते हुए इसे रद करने की गुहार लगाई है।