हरीश जनार्था की हुई घर वापसी
शिमला शहर से आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके पूर्व कांग्रेसी नेता हरीश जनार्था की घर वापसी बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कर दी है।
जागरण संवाददाता, शिमला : पार्टी के खिलाफ जाकर बतौर आजाद प्रत्याशी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हरीश जनार्था की कांग्रेस में वापसी हुई है। हालांकि दो साल तक उन्हें किसी भी पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। शिमला शहर से चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मंजूरी के बाद प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर ने उन्हें बहाल किया है। लंबे समय से हरीश जनार्था की घर वापसी की मांग उठ रही थी। कांग्रेस ने करीब 44 बागी नेताओं की बहाली कर दी थी, लेकिन हरीश जनार्था की वापसी का मामला दिल्ली पहुंच गया था। हरीश जनार्था दो बार नगर निगम शिमला में पार्षद व डिप्टी मेयर रह चुके हैं। इसके साथ पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पर्यटन निगम के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
जनार्था के निष्कासन के बाद शिमला शहर में कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा नहीं था। नगर निगम में भी भाजपा का कब्जा है और विधानसभा क्षेत्र की सीट भी भाजपा की झोली में है। विधानसभा चुनाव में हरीश जनार्था ने कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगी थी। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और साढ़े 12 हजार वोट लेकर कांग्रेस की राह मुश्किल कर दी थी। हरीश जनार्था ऊपरी शिमला के वोट बैंक पर अच्छी पकड़ रखते हैं। अब शहर में कांग्रेस मजबूत होगी। हरीश जनार्था पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं।
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घर वापसी का फैसला तो हाईकमान ने लिया है। मैं कांग्रेस कमेटी के फैसले का स्वागत करता हूं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विशेष तौर पर आभारी हूं। पार्टी अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने विश्वास दिखाया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया जाएगा।
-हरीश जनार्था।