World Hemophilia Day 2020: लॉकडाउन में सतर्क रहें हीमोफीलिया मरीज नहीं तो बढ़ सकती है परेशानी
World Hemophilia Day 2020 हीमोफीलिया खून की बीमारी होती है इसमें खून के थक्के बनना बंद हो जाता है ये एक अनुवांशिक बीमारी है।
जेएनएन। कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से विश्व के लोग त्रस्त हैं। सरकार इससे निपटने का प्रयास कर रही है, वहीं अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों की परेशानी बढ़ गई है। प्रदेश में कर्फ्यू लगा है ऐसे में हीमोफीलिया (Hemophilia) के मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है अगर उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाए। ऐसे मरीजों के स्वजन अतिरिक्त एहतियात बरतते हुए उन्हें घर पर सुरक्षित रखने की कोशिश करें।
आइजीएमसी के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. प्रेम मच्छान ने बताया कि हीमोफीलिया खून की बीमारी है। हीमोफीलिया ग्रसित मरीज के शरीर में चोट व कट लग जाने से शरीर से निरंतर खून बहता रहता है। प्रदेश में खून की बीमारी हीमोफीलिया ने सैकड़ों लोगों को ग्रस्त कर लिया है। एक अनुमान के मुताबिक ऐसे रोगियों की हिमाचल में 500 से अधिक संख्या है।
भावी पीढ़ी भी इस रोग की चपेट में आ रही है। स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष इसकी चपेट में अधिक आते हैं। खून के टेस्ट कर और जीन मैपिंग कर इस बीमारी की जांच की जाती है। बीमारी अधिक बढ़ गई हो तो मरीज को हर हफ्ते फैक्टर-8 के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। सरकार की ओर से हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को हर माह 2-2 हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
क्या है हीमोफीलिया
यह एक आनुवांशिक बीमारी है। इसमें खून के थक्के बनना बंद हो जाता है। जब शरीर का कोई हिस्सा कट जाता है तो खून में थक्के बनाने के लिए जरूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं। इससे खून बहना अपने आप रुक जाता है। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है उनमें थक्के बनाने वाले घटक बहुत कम होते हैं। इसलिए उनमें खून अधिक समय तक बहता रहता है।
हीमोफीलिया के लक्षण
नाक से लगातार, मसूड़ों से खून निकलना, त्वचा का आसानी से छिल जाना, शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द होना, कई बार हीमोफीलिया में सिर के अंदर भी रक्तस्राव होता है, इसमें तेज सिरदर्द, और उलटी आती है। इसके अलावा धुंधला दिखना, बेहोशी और चेहरे पर लकवा होने जैसे लक्षण भी होते हैं हालांकि, ऐसा बहुत कम मामलों में होता है।
ब्रेन हैमरेज की अधिक रहती है आशंका
खून की बीमारी हीमोफीलिया के मरीजों को दर्द की दवा (पेन किलर) का सेवन खतरनाक हो सकता है। दर्द की दवा के सेवन से ऐसे मरीजों को ब्रेन हैमरेज का खतरा हो सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दर्द की दवाएं खाने से खून पतला हो जाता है और वह खून की संरचना का बदल देती हैं। खून पतला होने पर थक्के नहीं बन पाते हैं। इस कारण जब व्यक्ति को चोट लग जाती है और खून बहने लगे तो खून अधिक देर तक बहता रहता है।