ग्रीन टैक्स लगाने के लिए सरकार से मांगी मंजूरी
जागरण संवाददाता शिमला शहर में अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स वसूलने की नग
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स वसूलने की नगर निगम प्रशासन ने सरकार से मंजूरी मांगी है। नगर निगम प्रशासन ने इसका प्रस्ताव सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा है। सरकार से हरी झंडी मिलते ही इसे वाहनों से वसूलना शुरू कर दिया जाएगा। इस बार बैरियर के साथ ऑनलाइन अदाएगी करवाने या फिर होटल में ही इसका भुगतान करने की सुविधा रहेगी।
निगम प्रशासन का मानना है कि इससे बैरियर पर वाहनों को ज्यादा समय नहीं रुकना पड़ेगा। मोबाइल फोन से ही ऑनलाइन इसकी अदायगी का एप बना दिया जाएगा। नगर निगम शिमला की मेयर सत्या कौंडल ने अपने सालाना बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी। इसके मुताबिक अगले वित्तीय वर्ष से शहर में अन्य राज्यों से आने वाले हर वाहन चालक से ग्रीन टैक्स वसूला जाएगा। टैक्स की राशि वाहन और शिमला में रहने वाली समयावधि पर निर्भर करेगी। 100 से लेकर 300 रुपये प्रति वाहन की दर तय की जा सकती है।
निगम टैक्स वसूलने के लिए शहर के एंट्री प्वाइंट पर बैरियर लगाएगा, शहर के होटलों में भी सीधा ही वाहन मालिक भुगतान कर सकेंगे। इस योजना से निगम को सालाना 15 करोड़ की आय होगी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम की आर्थिक सेहत को सुधारने में यह बेहतर कदम साबित होगा। निगम ने अपने पिछले साल के बजट में भी इसे लगाने की घोषणा की थी, लेकिन कोरोना के चलते ये लागू नहीं हो पाया था। इस बार फिर से इसे बजट में शामिल करने का फैसला लिया था। बजट घोषणा के बाद इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा है। नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली ने कहा कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजा है। एक ही दिन में आते हैं तीन से चार हजार वाहन
शहर में पीक टूरिस्ट सीजन के दौरान एक ही दिन में पांच हजार वाहन अन्य राज्यों से पहुंचते हैं। इसलिए निगम को इस योजना से बेहतर आय की उम्मीद है। इस साल भी 25 से लेकर 31 दिसंबर के बीच में 16 हजार से ज्यादा वाहन शिमला आए थे। इससे निगम को इस योजना से बेहतर आय होने की उम्मीद है। 2015 में भी किया था शुरू
नगर निगम ने शहर में वर्ष 2015 में भी ग्रीन टैक्स वसूलना शुरू कर दिया था। इसके लिए शहर के एंट्री प्वाइंट्स पर बैरियर तक लगा दिए थे। दो से तीन महीने तक इस योजना पर शहर में काम किया गया। इस दौरान हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे बंद कर दिया था। उस समय राष्ट्रीय राजमार्ग का अनापत्ति प्रमाणपत्र न होने के कारण निगम की योजना सिरे नहीं चढ़ सकी थी। निगम ने बिना अनापत्ति पत्र के ही बैरियर लगा दिए थे। अब फिर से इस योजना को लागू करने की तैयारी है। इस बार निगम सभी एजेंसियों के अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही योजना को शुरू करेगा।