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सेब उत्पादन की लागत बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन

संयुक्त सेब उत्पादक संघ चौपाल ने सोमवार को सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Jul 2022 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jul 2022 06:34 PM (IST)
सेब उत्पादन की लागत
बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन
सेब उत्पादन की लागत बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन

संवाद सूत्र, नेरवा : संयुक्त सेब उत्पादक संघ चौपाल ने सोमवार को सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इसमें फल उत्पादक संघ, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन सहित अन्य संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया। यह विरोध प्रदर्शन सेब उत्पादन की लगातार बढ़ती लागत और सरकार के सेब बागवानों के प्रति नकारात्मक रवैये पर हुआ।

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संयुक्त सेब उत्पादकों का कहना है कि सेब की पैकेजिग सामग्री पर सरकार की ओर से छह प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाया गया है। इस कारण एक ट्रे बंडल का मूल्य 600 से 800 रुपये कर दिया गया है। राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश सचिव डा. विजय चौहान ने कहा कि खाली डिब्बों का मूल्य 50-55 रुपये से बढ़ाकर 75-80 रुपये तक कर दिया गया है। खाद, कीटनाशक व फंफूदनाशकों पर 18 प्रतिशत तक जीएसटी लगाया जाता है और इन पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म कर दिया गया है। इन कारणों से सेब की उत्पादन लागत बहुत अधिक हो गई है। संयुक्त सेब उत्पादक संघ ने एसडीएम चौपाल के माध्यम से सरकार को मांगपत्र भेजा। रोहड़ू में जुलूस निकाला

संवाद सूत्र, रोहड़ू : संयुक्त किसान मंच के बैनर तले प्रदेश की आर्थिकी में अहम योगदान देने वाली सेब बागवानी की लगातार बढ़ती कीमतों के विरोध में रोहड़ू में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। रोहड़ू बाजार में क्षेत्र के एक हजार के करीब बागवानों ने बागवानी को बचाने के लिए आगे आने का संदेश एकजुटता से दिया। रोहड़ू बाजार से एसडीएम कार्यालय तक जुलूस निकाला गया जिसमें विभिन्न राजनीतिक संगठनों के साथ दर्जनों सामाजिक व सेब उत्पादक संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया। कीटनाशक व फंफूदनाशक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी और इन पर दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने के विरोध में बागवान एकजुट हुए। संयुक्त किसान मंच की ओर से रोहड़ू के एसडीएम सन्नी शर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में संयुक्त किसान मंच के माध्यम से मुआवजे की मांग की गई। एसडीएम सन्नी शर्मा ने बागवानों के साथ बैठक कर उनकी मांगें सुनीं। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन बागवानों के साथ है और उनकी मांगों को सरकार के संज्ञान में लाया जाएगा।


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