Move to Jagran APP

चरागाह, झीलें, बर्फ सबकुछ है यहां, नहीं है तो इच्छाशक्ति

विश्व स्तरीय साहसिक खेलों के लिए प्राकृतिक रूप से बेहतरीन स्की स्लोप व पैराग्लाई¨डग का स्थल होने व प्रकृति के नौसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण चांशल घाटी को पर्यटन की ²ष्टि से विकसित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से पिछले साल के बजट में प्रावधान रखा गया था लेकिन एक साल बीत जाने तक कोई भी कार्य अब तक सिरे नहीं चढ़ पाया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 08:11 AM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 08:11 AM (IST)
चरागाह, झीलें, बर्फ सबकुछ है यहां, नहीं है तो इच्छाशक्ति
चरागाह, झीलें, बर्फ सबकुछ है यहां, नहीं है तो इच्छाशक्ति

जितेंद्र मेहता, रोहड़ू

loksabha election banner

चांशल घाटी और पब्बर नदी को साहसिक गतिविधियों के लिए विकसित करने की योजनाएं तो दोनों सरकारों ने बनाई, लेकिन धरातल पर सिर्फ शिलान्यास ही हुआ है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले बजट में चांशल को विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद कोई कार्य नहीं हुआ है। चांशल में बेहतरीन स्की स्लोप विकसित की जा सकती है। चांशल घाटी के नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मुख्यमंत्री ने स्वयं विधानसभा सत्र में इस योजना को हरी झंडी दी थी।

वहीं, अक्टूबर 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पब्बर नदी के तटीकरण कार्य की आधारशिला रखी थी, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं हुआ। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत इस परियोजना में पब्बर नदी को छौहारा के टिक्करी से हाटकोटी तक 27 किलोमीटर तक के दायरे में 190.82 करोड़ से विकसित किया जाना है। इसके लिए कुल लागत का 70 फीसद राशि का योगदान केंद्र सरकार का था, शेष पैसा हिमाचल सरकार ने खर्च करना था। नियमों के अनुसार परियोजना के लिए केंद्र की ओर से पैसा आना जरूरी था, जो विभाग को नहीं मिला है। इस कारण कार्य को शुरू कर पाना संभव नहीं हो पाया। पब्बर नदी के तटीकरण होने से पर्यटन की संभावनाओं में रिवर रॉ¨फ्टग, मत्स्य पालन के साथ एक लाभ यह भी है कि इसके दोनों तटों पर सदियों से बेकार पड़ी सैकडों हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकेगा, जिसमें 177.6815 हेक्टेयर कृषि भूमि, 24 किलोमीटर सड़क, छह पुल, 2000 मकानों, दो पनबिजली परियोजनाओं, 19 उठाऊ पेयजल योजनाओं, एक सीवेज प्लांट को सुरक्षित किया जा सकेगा।

विधायक रोहड़ू मोहन लाल ब्राक्टा का कहना है कि पब्बर नदी के तटीकरण की परियोजना का शिलान्यास कांग्रेस कार्यकाल में किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक सहायता न मिलने के कारण यह कार्य शुरू नहीं हो पाया। अधिशाषी अभियंता सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंडल रोहडू सत्यापाल शर्मा का कहना है कि पब्बर नदी के तटीकरण को लेकर परियोजना का शिलान्यास तीन वर्ष पूर्व हो चुका है। केंद्र सरकार की ओर से अब तक विभाग को बजट नहीं मिल पाया है। इसी कारण परियोजना को शुरू नहीं किया गया।

-------

चरागाह, झीलें, बर्फ सबकुछ है यहां

चांशल घाटी : समुद्र तल से 12303 फीट की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत चांशल घाटी कुछ समय से बाहरी व स्थानीय पर्यटकों के लिए नई सैरगाह बन कर उभर रही है। सफाह से मसरूफूण व सरू झील होकर कुशमुल्टी तक यह घाटी करीब 10 किलोमीटर में फैली है। यहां पर कुछ साल पहले सर्वे किया है, जिसमें देखा गया कि एशिया की सबसे बेहतरीन व ऊंची स्कीइंग स्लोप यहां पर बन सकती है। कालगा पाटन : 12 हजार फीट की ऊंचाई व पांच हजार वर्ग मीटर में फैला सीधा मैदान व चरागाह है। पर्यटन विभाग के अनुसार यहां पर एशिया का सबसे बेहतरीन पैराग्लाइडिंग स्थल बनाया जा सकता है। यहां पर सड़क सुविधा होने से पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है। चंद्रनाहन : चिड़गांव तहसील के आखिरी गांव जांगलिख से तीन घंटे के सफर के बाद पब्बर नदी का उद्गम स्थल यहां पर है। समुद्र तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस दर्रे की विशेषता यहां के थाच व मैदान और सात प्राकृतिक झीलें हैं। चंद्रनाहन की सुंदरता की तुलना दुनिया के किसी भी पर्यटन स्थल से नहीं की जा सकती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.