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तीन और निजी विश्वविद्यालयों में पाई गई अनियमितता

राज्य ब्यूरो शिमला हिमाचल प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग ने तीन और निजी विश्वविद्या

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 06:48 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 06:15 AM (IST)
तीन और निजी विश्वविद्यालयों में पाई गई अनियमितता
तीन और निजी विश्वविद्यालयों में पाई गई अनियमितता

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग ने तीन और निजी विश्वविद्यालयों में अनियमितता पकड़ी है। शिमला के एक निजी विवि में 58 डिग्रियां संदेह के घेरे में हैं। यहां विदेशी विद्यार्थियों के दाखिलों में भी गड़बड़ी पाई गई। दाखिले कम हुए हैं और डिग्रियां ज्यादा प्रदान की गई। कांगड़ा और ऊना जिला के दो विश्वविद्यालयों में भी अनियिमतता सामने आई है। एक में न परीक्षाएं हो रही हैं और न ही इसमें कुलपति, परीक्षा नियंत्रण कार्यरत हैं। ये विश्वविद्यालय आयोग को भी पूरा रिकॉर्ड देने से इन्कार करते हैं।

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इस संबंध में आयोग के सदस्य डॉ. एसपी कत्याल ने बुधवार को शिमला स्थित राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की। उन्होंने इन अनियमितताओं की जानकारी राज्यपाल को दी। राज्यपाल ने जताई चिता

राज्यपाल दत्तात्रेय ने कुछ विश्वविद्यालयों में पाई अनियमितताओं पर चिता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। उनके अकादमिक सत्र भी खराब नहीं होने चाहिए। बेशक विद्यार्थियों को दूसरी जगह शिफ्ट करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए आयोग को अपने स्तर पर पहल करनी चाहिए, क्योंकि यह विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा प्रश्न है। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आयोग को उनके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की वस्तुस्थिति रिपोर्ट भी प्रदान करने को कहा। डॉ. कत्याल ने आयोग द्वारा राज्य के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा और निगरानी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए की गई पहल की भी जानकारी दी।

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शिमला, कांगड़ा, ऊना के तीन विश्वविद्यालयों में कई तरह की अनियमिता सामने आई है। ऊना विवि के बारे में एफआइआर दर्ज करने को कहा गया है। मानव भारती विश्वविद्यालय की जांच तो चल ही रही है। शिमला के एपीजी विश्वविद्यालय की जांच सीआइडी कर रही है।

-डॉ. एसपी कत्याल, सदस्य,निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग


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