राज्य सहकारी बैंक के पूर्व प्रबंधक गिरफ्तार
स्टेट कॉपरेटिव बैंक की नारकंडा- ननखड़ी क्षेत्र की खोलीघाट ब्रांच का पूर्व मैनेजर ललित मोहन भारद्वाज स्टेट सीआइडी ने गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उसने बैंक के मैनेजर पद पर रहते लाखों रूपये का गड़बड़झाला किया था। आरोपित ने किसानों के कर्जों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया। जांच एजेंसी की क्राइम ब्रांच ने पुख्ता सुबतों के आधार पर आरोपित पर शिकंजा कसा है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : राज्य सहकारी बैंक की नारकंडा के निकट खोलीघाट शाखा के पूर्व प्रबंधक ललित मोहन भारद्वाज को स्टेट सीआइडी ने गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने बैंक प्रबंधक पद पर रहते किसानों के कर्जो के नाम पर लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा किया था।
आरोपित को सोमवार को कसुम्पटी से पकड़ा गया। मंगलवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले में बैंक के अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत का भी शक है। प्रारंभिक जांच में पता चला था कि खोलीघाट शाखा में तत्कालीन प्रबंधक ने किसान क्रेडिट कार्ड के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा किया था। आरोप है कि वर्ष 2017 में प्रबंधक ने कई किसान क्रेडिट कार्ड लिमिट खाताधारकों के नाम पर चेक जारी किए। फर्जी तरीके से खाताधारकों की लिमिट की राशि के चेक आरटीजीएस के माध्यम से जमा करवाए गए। यह राशि आरोपित ने खाते में जमा करवाई। खाताधारकों के जाली हस्ताक्षर कर लाखों रुपये के गोलमाल को अंजाम दिया गया। आरोपित की यही चूक सीआइडी के लिए सबसे बड़ी सुबूत साबित हुई। बैंक के खाताधारकों को जब पता चला कि उनकी लिमिट के खातों से पैसे कट रहे हैं तो उन्होंने इसकी शिकायत बैंक प्रबंधन से की। इसके बाद जब बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर जांच पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि जाली हस्ताक्षर कर गोलगाल को अंजाम दिया गया है। विभागीय जांच में मालूम हुआ कि किसान क्रेडिट कार्ड के नाम पर यह घपला किया गया है। विभागीय जांच के बाद आरोपित को सस्पेंड कर दिया गया था। उनके खिलाफ पिछले साल सीआइडी के भराड़ी (शिमला) स्थित थाने में मामला दर्ज किया गया था। कई बैंकों का रिकॉर्ड कब्जे में
खोलीघाट शाखा में हुए लाखों रुपये के घपले के मामले में सीआइडी ने जांच में करीब दो दर्जन विभिन्न बैंकों से रिकॉर्ड कब्जे में लिया है। नारकंडा, कुमारसैन, फागू, संजौली, शिमला सहित कई बैंक शाखाओं से दस्तावेज कब्जे में लिए गए। कई शाखाओं का रिकॉर्ड तलब किया गया। कुछ बैंक शाखाएं रिकॉर्ड देने में आनाकानी कर रही थीं जबकि कुछ शाखाओं ने जांच एजेंसी को काफी सहयोग किया।