कोरोनाकाल में पतली हुई प्रदेश की आर्थिक हालत
कोरोना संकट के दौरान राज्य को आर्थिक दृष्टि से उबारने के लिए प्रध
राज्य ब्यूरो, शिमला : कोरोना संकट के दौरान राज्य को आर्थिक दृष्टि से उबारने के लिए प्रधान सचिव वित्त मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुति देंगे। दस अगस्त को होने वाली बैठक अहम मानी जा रही है, क्योंकि सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के समक्ष वेतन भुगतान का संकट पैदा हो चुका है। परिवहन निगम व पर्यटन निगम के कर्मचारियों को हर माह के दूसरे पखवाड़े में वेतन प्राप्त हो रहा है। राज्य के आय के साधनों में भारी गिरावट आई है। कोरोनाकाल के दौरान आय में 55 फीसद की गिरावट आई और केवल 1200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। कर्मचारियों को वेतन भुगतान के लिए करीब बीस हजार करोड़ रुपये चाहिए। कर्ज का ब्याज और मूलधन चुकाने के लिए पांच हजार करोड़ की जरूरत रहेगी।
प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना का कहना है कि कोरोना संकट में राज्य के आर्थिक ढांचे पर संकट गहराया है। यदि सभी क्षेत्रों में अपेक्षित सुधार नहीं आया तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी। अगले सप्ताह वह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को यथास्थिति से अवगत करवाएंगे। हालात सुधरने की उम्मीद
वित्त विभाग की तैयार रिपोर्ट में 2020 व 2019 में आय की तुलना की गई है। आंकड़े बताते हैं कि पहली तिमाही में 1200 करोड़ रुपये से कम राजस्व एकत्र हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 2480 करोड़ की आमदनी हुई थी। संकट से घिरे क्षेत्रों को उबारने के लिए प्रयास करने पर जोर दिया है। उद्योग में उत्पादन रफ्तार पकड़ने लगा है, लेकिन निर्माण क्षेत्र में गति लाने की जरूरत है। सरकार को विद्युत से होने वाली आय खुले बाजार में दाम न मिलने से काफी कम हो गई है। खनन क्षेत्र अभी तक दो सौ करोड़ के राजस्व लक्ष्य को छू नहीं पाया है। कर्मचारियों से मुंह मोड़ना संभव नहीं
सरकार के समक्ष जैसे भी हालात हो जाएं मगर कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है। रिटायर कर्मियों को भी हर माह पेंशन देनी होती है। वेतन-पेंशन पर सालाना बीस हजार करोड़ रुपये खर्च आता है। कर्ज का ब्याज और मूलधन देने के लिए सरकार को पांच हजार करोड़ रुपये चाहिए।