निजी कॉलेजों की डिग्रियों का रिकॉर्ड फिर तलब
हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने प्रदेश में चल रहे
जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने प्रदेश में चल रहे निजी व्यावसायिक संस्थानों (प्रोफेशनल कॉलेज) से दोबारा रिकॉर्ड मांगा है। आयोग के मुताबिक जो जानकारी मिली है वे अधूरी है। नए फार्मेट में विद्यार्थियों का रिकॉर्ड भी मांगा गया है, यानी कितने विद्यार्थियों ने अभी तक डिग्रियां हासिल की हैं। इसके अलावा प्रधानाचार्य, शिक्षकों का पूरा रिकॉर्ड, शैक्षणिक अनुभव भी मांगा गया है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से सेवानिवृत्त प्रो. एनके शारदा की अध्यक्षता में बनी कमेटी हर संस्थान के प्रधानाचार्यो व शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव की जांच कर रही है। भवन, मैदान, आइटी लैब व अन्य सुविधाएं हैं या नहीं, इसकी भी जांच हो रही है। संस्थानों के प्रॉस्पेक्टस व वेबसाइट को भी जांचा जा रहा है। प्रदेश में 245 के करीब निजी शिक्षण संस्थान हैं। इनमें बीएड, फॉर्मेसी, नर्सिग, एमसीए, मैनेजमेंट, लॉ, इंजीनियरिंग, डेंटल, होम्योपैथी जैसे प्रोफेशनल कॉलेज शामिल हैं।
वहीं, सोलन जिला स्थित एक निजी विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट मिलने और डिग्रियों को बेचने के लिए फर्जी वेबसाइट बनाने का मामला सामने आया है। आयोग ने इसको लेकर सोलन में एफआइआर दर्ज करवा दी है। पुलिस इसकी जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक फर्जी मार्कशीट तैयार करने के लिए जो वेबसाइट बनाई गई है उसका भी पूरा रिकॉर्ड खंगाला गया है। आयोग ने निजी विश्वविद्यालय को सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि उसे लगता है कि उसकी फर्जी मार्कशीट या डिग्री तैयार की गई है तो वह अपने स्तर पर भी पुलिस में शिकायत दर्ज करवाए। विद्यार्थियों से भी आह्वान किया है कि वे फर्जी डिग्री या मार्कशीट खरीदने के लिए शातिरों के झांसे में न आएं। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतुल कौशिक ने बताया कि दिल्ली, बेंगलुरु और अंबाला से एजेंट दो से तीन माह में डिग्रियां देने के दावे कर रहे हैं। फर्जी डिग्री के एवज में लाखों रुपये की मांग की जा रही है।
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निजी विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट, डिग्री के लिए फर्जी वेबसाइट का मामला सामने आने के बाद पुलिस में एफआइआर दर्ज करवा दी गई है। विद्यार्थियों से अपील की गई है कि वे किसी भी तरह के झांसे में न आए। यदि कोई झूठा प्रलोभन देता है तो पुलिस या फिर आयोग को शिकायत दें।
-अतुल कौशिक, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग।